Jharkhand Mid-Day Meal Scheme Reality: झारखंड सरकार (Jharkhand Government) एक बड़ी योजना पर काम कर रही है. योजना ये है कि, झारखंड (Jharkhand) के सरकारी स्कूलों (Government Schools) की खाली पड़ी जमीनों पर अब सब्जियां और फल उगाए जाएंगे. स्कूलों की खाली जमीनों को चिन्हित करने का काम भी शुरू हो गया है. योजना का मकसद ये है कि, स्कूलों के बच्चों को मिड-डे मील (Mid-Day Meal) में नियमित रूप से सब्जियां और फल मिल सकें. इसके लिए स्कूलों की खाली जमीन किचन गार्डन (Kitchen Garden) के तौर पर विकसित की जाएगी. भले ही सरकार आने वाले समय को लेकर इस व्यापक योजना पर काम रही हो लेकिन फिलहाल मिड-डे मील योजना का झारखंड में बुरा हाल है. 


बच्चों के निवाले पर संकट
मिड-डे मील योजना का मौजूदा हाल ये है कि,  झारखंड के सरकारी स्कूलों में लगभग 33 लाख बच्चों के निवाले पर संकट पैदा हो गया है. इन बच्चों को मिलने वाले मिड-डे मील के लिए स्कूलों के पास पैसे ही नहीं बचे हैं. आलम ये है कि स्कूलों की प्रबंध समितियां और शिक्षक दुकानों से उधार लेकर पिछले कई दिनों से मिड-डे मील उपलब्ध करा रहे हैं. शिक्षकों का कहना है कि सरकार ने फंड उपलब्ध नहीं कराया तो दुकानदार राशन देना बंद कर देंगे और ऐसी स्थिति में मिड-डे मील वितरण बंद हो सकता है.


केंद्र सरकार से नहीं मिली राशि 
गौरतलब है कि, सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार स्कूलों में मिड-डे मील दिया जाना अनिवार्य है. इस योजना पर होने वाले खर्च की 60 फीसदी राशि केंद्र सरकार और 40 फीसदी राशि राज्य सरकार देती है. झारखंड सरकार ने मिड-डे मील में बच्चों को हफ्ते में 5 दिन अंडा या फल देना अनिवार्य किया है और इसके लिए सालाना लगभग 400 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बजट तय किया गया है. आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार की ओर से मिड-डे मील की राशि नहीं मिल पाने की वजह से हालात खराब हो गए हैं.  


राज्य में कुपोषण है गंभीर समस्या 
गौरतलब है कि, झारखंड में बच्चों के कुपोषण की गंभीर समस्या है. प्रदेश में 40 प्रतिशत बच्चे कुपोषित हैं. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (एनएफएचएस-5) की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में 5 वर्ष से कम आयु वाले 36 लाख 64 हजार बच्चों में से 42 प्रतिशत यानी 15 लाख से अधिक बच्चे कुपोषित हैं तो उसमें भी 9.1 प्रतिशत यानी 3 लाख के करीब बच्चे अति गंभीर रूप से कुपोषण के शिकार हैं. सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, अति गंभीर कुपोषण की वजह से राज्य में बड़ी संख्या में बच्चों का ठीक ढंग से शारीरिक और मानसिक रूप से विकास नहीं हो पा रहा है.


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