Watch: झारखंड में गरिमा योजना से मिल रही महिलाओं को नई जिंदगी! जादू-टोना और अंधविश्वास के खिलाफ पहल
Jharkhand Garima Project: झारखंड सरकार ने 7 जिलों और 25 ब्लॉकों में गरिमा परियोजना शुरू की है. गरिमा केंद्रों के माध्यम से अब तक 2,600 पीड़ितों को बचाया और पुनर्वास किया गया है.
Jharkhand Garima Project News: झारखंड में जादू-टोना और अंधविश्वास के खिलाफ सरकार मुहिम चला रही है. प्रदेश की सरकार ने 'गरिमा' प्रोजेक्ट के जरिए महिलाओं की जिंदगी बदलने की दिशा में बड़ी पहल शुरु की है. इस योजना के माध्यम से पीड़ितों को बचाने और पुनर्वास का काम किया जा रहा है.
जादू-टोना, अंधविश्वास और गहरी जड़ें जमा चुकी पितृसत्तात्मक प्रथा, जिसके कारण महिलाओं पर बहुत अत्याचार किए जाते हैं. उन पर दुर्भाग्य पैदा करने का झूठा आरोप लगाया जाता है. कुछ महिलाओं को डायन बिसाही बताया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप कई लोगों की जान चली जाती है. इनमें कई को अपना गांव-घर छोड़कर बाहर जाने के लिए मजबूर होना पड़ता है.
VIDEO | Witch-hunting, a deeply entrenched patriarchal practice, has led to the brutal persecution of women, falsely accused of causing misfortunes, resulting in countless lives lost and many more exiled from their villages. To counter this, the Jharkhand government launched the… pic.twitter.com/S6VwkjV11Q
— Press Trust of India (@PTI_News) September 26, 2024
गरिमा केंद्रों के जरिए पीड़ितों को मदद
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक इन्हीं अंधविश्वासों का मुकाबला करने के लिए झारखंड सरकार ने 7 जिलों और 25 ब्लॉकों में गरिमा परियोजना शुरू की. गरिमा केंद्रों के माध्यम से अब तक 2,600 पीड़ितों को बचाया और पुनर्वास किया गया है, जिसमें इन घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस सहायता भी शामिल हो सकती है.
झारखंड सरकार पीड़ितों को दे रही साइकोलॉजिकल सपोर्ट
झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार पीड़ित महिलाओं को साइकोलॉजिकल सपोर्ट दे रही है. जेएसएलपीएस (JSLPS) के सीईओ मंजूनाथ भजंत्री ने कहा, ''ये गरिमा केंद्र पुलिस स्टेशन और वहां के अन्य सामाजिक व्यक्ति हैं, उनसे संपर्क करके इसे रोकने का प्रयास करते हैं.''
पीड़ित महिलाओं का कहना है कि गांवों में अगर किसी के बीमार होने या मौत होने या किसी को बच्चा न होने की घटना होती थी, तो उन्हें आरोपित कर दिया जाता था. इसके बाद उन्हें सभी के सामने शर्मिंदा किया जाता था. लेकिन अब गरिमा केंद्र से उनकी जिंदगी बदल रही है.
एक पीड़ित महिला ने बताया कि पहले गांव में उन्हें डायन बोला जाता था, जिसके बाद वो घर छोड़कर रांची में किराए के घर में रहने के लिए मजबूर हुईं. उन्होंने कहा कि जब से गरिमा केंद्र से जुड़ीं हूं तब से मुझे डायन बिसाही नहीं बोला जाता है.
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