झारखंड सरकार ने चुनाव आयोग को लिखी चिट्ठी, हिमंत बिस्वा सरमा और शिवराज सिंह चौहान पर लगाया बड़ा आरोप
Jharkhand News: झारखंड कैबिनेट सचिवालय और सतर्कता विभाग की प्रधान सचिव वंदना दादेल ने निर्वाचन आयोग को लिखे पत्र में बीजेपी नेताओं पर प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों को डराने का आरोप लगाया.
Jharkhand Politics: झारखंड सरकार ने निर्वाचन आयोग से अनुरोध किया है कि वह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बीजेपी नेताओं हिमंत बिस्वा सरमा और केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान को एक परामर्श जारी करने आदेश दे. मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) को लिखे पत्र में अमित शाह से दोनों बीजेपी नेताओं को यह परामर्श जारी करने का आग्रह किया गया है कि वे आधिकारिक मशीनरी का दुरुपयोग कर ‘‘संकीर्ण राजनीतिक लाभ’’ के लिए राज्य में सांप्रदायिक तनाव ‘‘भड़काने’’ से बचें और संवैधानिक मानदंडों का घोर उल्लंघन करते हुए झारखंड के आंतरिक मामलों में सीधे हस्तक्षेप न करें.
इसके जवाब में बीजेपी ने दावा किया कि सत्तारूढ़ झामुमो के नेतृत्व वाला गठबंधन आगामी विधानसभा चुनाव में अपनी आसन्न हार से डरा हुआ है. आश्चर्य है कि राज्य सरकार ने सीएम हिमंत बिस्वा सरमा तथा एमपी के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की?
झारखंड में सत्ताधारी पार्टी जेएमएम और बीजेपी के बीच यह आरोप प्रत्यारोप ऐसे समय में हुआ है, जब इस वर्ष के अंत में 81 सदस्यीय झारखंड विधानसभा के लिए चुनाव होना है.
बीजेपी नेता कर रहे सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग
झारखंड के कैबिनेट सचिवालय और सतर्कता विभाग की प्रधान सचिव वंदना दादेल ने निर्वाचन आयोग (ईसी) को हाल में लिखे एक पत्र में बीजेपी पर ‘‘प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों को डराने’’ का प्रयास करने का आरोप लगाया है. ताकि वे न्यायसंगत और वैधानिक निवारक व दंडात्मक कार्रवाई न कर सकें.
प्रधान सचिव वंदना दादेल अपने पत्र में इस बात का भी जिक्र किया है कि बीजेपी ‘‘धार्मिक भावनाओं को प्रभावित कर क्षेत्र में सांप्रदायिक अशांति और तनाव पैदा करने’’ की कोशिश कर रही है. पत्र में निर्वाचन आयोग से ‘‘निष्पक्षता सुनिश्चित करने, दोनों पक्षों को समान अवसर मुहैया कराने और आगामी विधानसभा चुनावों के संबंध में झारखंड में तैनात सरकारी अधिकारियों और पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कोई भी कार्रवाई करने से पहले विस्तृत जांच करने’’ का भी आग्रह किया गया है.
असम के मुख्यमंत्री के इस आरोप पर कि झामुमो नीत गठबंधन बांग्लादेशी घुसपैठ को संरक्षण दे रहा है, राज्य सरकार ने कहा कि यह एक संवेदनशील मुद्दा है, जिसका आंतरिक सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर गंभीर प्रभाव पड़ता है. राज्य सरकार ने यह भी सवाल किया कि क्या भारत संघीय ढांचे के अंतर्गत किसी राज्य का मुख्यमंत्री किसी अन्य राज्य के दौरे पर मेजबान राज्य के प्रशासन की कार्यप्रणाली और आंतरिक मामलों सहित उसकी नीतियों के विरुद्ध झूठे आरोप लगा सकता है और बयान दे सकता है.
पत्र में कहा गया है, 'ये गतिविधियां राजनीतिक लाभ के लिए राजकोष से खर्च कर राज्य की आधिकारिक मशीनरी का स्पष्ट दुरुपयोग हैं. ऐसे में, जब झारखंड विधानसभा चुनाव की घोषणा होनी बाकी है, तो क्या किसी राजनीतिक दल के लिए राज्य के चुनाव प्रभारी के रूप में किसी व्यक्ति को नियुक्त करना कानूनन उचित है और क्या ऐसे व्यक्ति को इस समय चुनाव प्रचार अभियान शुरू करने का अधिकार है?’’
चुनावी नियमों का उल्लंघन
पत्र में सवाल उठाया गया है कि क्या यह उस समान अवसर का उल्लंघन नहीं है, जिसका वादा आयोग ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए किया था. फिलहाल, चुनाव आयोग के अधिकारियों ने इस मसले पर कोई टिप्पणी करने से इनकार किया. जबकि शर्मा ने कहा कि यदि ऐसा कोई पत्र लिखा गया है, तो आयोग उस पत्र का संज्ञान लेगा.
असम के मुख्यमंत्री ने मंगलवार (10 सितंबर) को रांची में कहा था कि मैं कोई राजनीति नहीं कर रहा हूं. मैं, हेमंत सोरेन से राज्य में सुधार करने के लिए कह रहा हूं. कांस्टेबल भर्ती परीक्षा के दौरान जान गंवाने वाले युवाओं के परिवार के सदस्यों को नौकरी दी जाए.
BJP के संपर्क में कांग्रेस-JMM के इतने विधायक, झारखंड में हिमंत बिस्वाा सरमा का बड़ा दावा