Jharkhand: राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने OBC आरक्षण विधेयक किया वापस, अब नई रणनीति की तैयारी में सोरेन सरकार
राज्यपाल ने अटॉर्नी जनरल की सलाह पर इसे सरकार को वापस भेजा है. यह बिल नवंबर 2022 में पारित हुआ था. राज्य सरकार ने यह विधेयक तत्कालीन राज्यपाल रमेश बैस के समय में ही स्वीकृति के लिए राजभवन भेजा था.
Jharkhand OBC Reservation: झारखंड में राजभवन की तरफ से ओबीसी आरक्षण विधेयक वापस किए जाने के बाद हेमंत सरकार (Jharkhand Government) अब नई रणनीति तैयार कर रही है. इस बिल के लिए हेमंत सोरेन सरकार (Hemant Soren) कानूनी सलाह ले रही है. दरअसल, राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन (C. P. Radhakrishnan) ने झारखंड विधानसभा से पारित झारखंड आरक्षण (संशोधन) अधिनियम 2022 को वापस करते हुए दोबारा समीक्षा का सुझाव दिया था. अटॉर्नी जनरल ने इस विधेयक की समीक्षा करते हुए कहा था कि, इसके कई प्रावधान सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसलों से नहीं मिलते हैं.
वहीं राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन (C. P. Radhakrishnan) ने अटॉर्नी जनरल की सलाह पर ही इसे सरकार को वापस भेजा है. बता दें कि, यह बिल नवंबर 2022 में पारित किया गया था. राज्य सरकार ने यह विधेयक तत्कालीन राज्यपाल रमेश बैस के समय में ही स्वीकृति के लिए राजभवन भेजा था. उन्होंने ही उस पर अटॉर्नी जनरल से सलाह मांगी थी. इस बीच उन्हें महाराष्ट्र का राज्यपाल नियुक्त कर दिया गया. वहीं अब अटॉर्नी जनरल की सलाह मिलने के बाद राज्यपाल ने उक्त विधेयक को वापस लौटा कर हेमंत सरकार को बड़ा झटका दिया है.
14 से बढ़ाकर 27 फीसदी किया गया था आरक्षण
झारखंड में हेमंत सरकार ने आरक्षण को बढ़ाकर 77 फीसदी करने वाला विधेयक पारित कर दिया था. जिसके बाद से प्रदेश में अनुसूचित जनजाति(ST) को 26 से बढ़ाकर 28 फीसदी, पिछड़ा वर्ग(OBC) को 14 से बढ़ाकर 27 फीसदी और अनुसूचित जाति (SC) के लिए 10 से बढ़ाकर 12 फीसदी आरक्षण कर दिया गया था. दरअसल, झारखंड के मौजूदा सत्ताधारी गठबंधन में 3 पार्टियां झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद शामिल हैं. इन तीनों दलों ने साल 2019 के विधानसभा चुनाव के दौरान अपने-अपने घोषणापत्रों में ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण का वादा किया था.
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