रांची: झारखंड के जमशेदपुर (Jamshedpur) से शुरू हुआ जैन समाज का विरोध प्रदर्शन अब तूल पकड़ने लगा है. आसपास के जिलों में भी अब लोग सड़कों पर आकर सम्मेद शिखरजी (Shri Sammed Shikharji) के पर्यटन स्थल बनाने का विरोध कर रहे हैं और विशाल रैलियां निकाल रहे हैं. लोगों का कहना है कि सम्मेद शिखरजी एक धार्मिक स्थल है. इसे पर्यटन स्थल के रूप में तब्दील नहीं किया जा सकता.
'धार्मिक स्थल पर मांस-मदिरा से पड़ेगा प्रतिकूल प्रभाव'
इसी मांग के चलते मंगलवार सुबह भी जैन समाज के लोगों ने विशाल रैली निकाली जिसमें सैड़कों महिला व पुरुष हाथों मे बैनर पोस्टर लेकर राज्य सरकार के फैसले का विरोध करते नजर आए. लोगों ने कहा कि झारखण्ड सरकार द्वारा सम्मेद शिखरजी तीर्थ को पर्यटन स्थल मे परिवर्तित करने का फैसला बिल्कुल ही गलत है. इस तीर्थ स्थल से करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी है. इस तीर्थ स्थल के पर्यटन स्थल मे परिवर्तित होने से इसके गौरवशाली इतिहास प्रभावित होगा. पर्यटन स्थल बनने से यहां मांस मदिरा, नृत्य और अश्लील गीत आदि से पवित्र क्षेत्र में प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा और इससे सभी की भावना आहात होगी. ऐसे में इस निर्णय को राज्य सरकार को वापस लेना चाहिए.
जैन धर्म के 20 तीर्थंकरों को हुई थी मोक्ष की प्राप्ति
आपको बताते चलें कि गिरिडीह जिले में पारसनाथ पहाड़ (Parasnath Mountain) जैनियों का सबसे बड़ा तीर्थ स्थल है. यहां जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकरों ने मोक्ष की प्राप्ति की थी. अभी इस अहिंसा की नगरी तीर्थ क्षेत्र व पर्यटन क्षेत्र के विवाद में आ फंसी है. यह विवाद पारसनाथ के एक हिस्से को इको सेंसिटिव जोन नोटिफाई करने के उभरा है. इस नोटिफिकेशन का विरोध में देश के विभिन्न राज्यों में रह रहे जैनियों द्वारा किया जा रहा है. इनका कहना है कि क्षेत्र को तीर्थ क्षेत्र घोषित किया जाना चाहिए.
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मुनि प्रमाण सागर महाराज भी दर्ज करा चुके हैं विरोध
जैन धर्म के बड़े महाराज में से एक मुनि प्रमाणसागर महाराज भी इस विषय पर अपना बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि यह विरोध केंद्र सरकार द्वारा जारी नोटिफिकेशन के कारण हो रहा है. इसे इको सेंसिटिव जोन बनाया गया था, अब इको टूरिज्म की बात आ रही है. चूंकि इको टूरिज्म शब्द जुड़ते ही लोगों के मन में ऐसी बात आ चुकी है कि टूरिज्म क्षेत्र घोषित होते ही क्षेत्र की पवित्रता बाधित होगी. उन्होंने कहा कि इसे पर्यटन घोषित करने की जगह काशी विश्वनाथ, वैष्णव देवी जैसा पवित्र तीर्थ क्षेत्र घोषित किया जाए. इसे लेकर सरकार से बातचीत चल रही है और ऐसी उम्मीद है कि बहुत जल्द जैन समाज की मांग सुनी जाएगी. हम लोग इसे लेकर काफी सकारात्मक भी हैं.
मुनि प्रमाण सागर महाराज भी दर्ज करा चुके हैं विरोध
जैन धर्म के बड़े महाराज में से एक मुनि प्रमाणसागर महाराज भी इस विषय पर अपना बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि यह विरोध केंद्र सरकार द्वारा जारी नोटिफिकेशन के कारण हो रहा है. इसे इको सेंसिटिव जोन बनाया गया था, अब इको टूरिज्म की बात आ रही है. चूंकि इको टूरिज्म शब्द जुड़ते ही लोगों के मन में ऐसी बात आ चुकी है कि टूरिज्म क्षेत्र घोषित होते ही क्षेत्र की पवित्रता बाधित होगी. उन्होंने कहा कि इसे पर्यटन घोषित करने की जगह काशी विश्वनाथ, वैष्णव देवी जैसा पवित्र तीर्थ क्षेत्र घोषित किया जाए. इसे लेकर सरकार से बातचीत चल रही है और ऐसी उम्मीद है कि बहुत जल्द जैन समाज की मांग सुनी जाएगी. हम लोग इसे लेकर काफी सकारात्मक भी हैं.
'लोगों की सुविधा के लिए पर्यटन स्थल बनाना जरूरी'
वहीं, पर्यटन विभाग का कहना है कि वहां छोटी-बड़ी सुविधाएं लोगों को मुहैया कराने के लिए उसे पर्यटन क्षेत्र के रूप में घोषित होना जरूरी है. विभाग ने ये भी साफ किया है कि सम्मेद शिखरजी में कोई बड़ी संरचना विकसित करने की राज्य सरकार की कोई योजना नहीं है. डीसी नमन प्रियेश लकड़ा ने जैन समाज के लोगों के साथ बैठक में सम्मेद शिखर के डेवलपमेंट के लिए 6 सदस्यों का पैनल बनाने की बात भी कही. उन्होंने बताया कि इसी पैनल के सुझाव पर मधुबन में नए सड़क निर्माण के साथ बायो शौचालय का भी निर्माण कराया जाएगा. साथ ही मांस मदिरा पर जो रोक पहले से लगा है, उसका पालन अब और कड़ाई से किया जाएगा.
जैसे हिंदुओं के लिए अयोध्या, वैसे जैनियों के लिए सम्मेद शिखर
मधुबन आने वाले तीर्थ यात्रियों का कहना है कि सम्मेद शिखर जी को पर्यटन क्षेत्र या इको सेंसिटिव जोन घोषित करने से यहां की पवित्रता प्रभावित हो सकती है. राजस्थान से मधुबन आईं शांता जैन, मध्यप्रदेश से आईं सारिका जैन समेत कई तीर्थयात्रियों का कहना है कि सम्मेद शिखर को तीर्थ क्षेत्र घोषित किया जाना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि जिस तरह मुस्लिमों के लिए मक्का है, हिन्दुओं के लिए वैष्णो देवी-अयोध्या है, उसी तरह जैनियों के लिए सम्मेद शिखर है.
मधुबन आने वाले तीर्थ यात्रियों का कहना है कि सम्मेद शिखर जी को पर्यटन क्षेत्र या इको सेंसिटिव जोन घोषित करने से यहां की पवित्रता प्रभावित हो सकती है. राजस्थान से मधुबन आईं शांता जैन, मध्यप्रदेश से आईं सारिका जैन समेत कई तीर्थयात्रियों का कहना है कि सम्मेद शिखर को तीर्थ क्षेत्र घोषित किया जाना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि जिस तरह मुस्लिमों के लिए मक्का है, हिन्दुओं के लिए वैष्णो देवी-अयोध्या है, उसी तरह जैनियों के लिए सम्मेद शिखर है.
समस्या का हल निकालने में जुटी हेमंत सोरेन सरकार
जैन समाज के विरोध को देखते हुए फिलहाल सीएम ने इस मास्टर प्लान को होल्ड पर डाल दिया है. फिलहाल राज्य सरकार पारसनाथ के सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित किए जाने के विवाद का हल निकालने में जुट गई है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर सोमवार को झारखंड मंत्रालय में जैन समाज के प्रतिनिधिमंडल के साथ अधिकारियों की बैठक भी हुई थी, जिसमें इसका हल निकालने का प्रयास किया गया. हालांकि अभी कोई सहमति नहीं बन सकी. सरकार की तरफ से बताया गया कि सीएम ने दोनों पक्ष की बातें सुनी हैं, जल्द ही इस पर राज्य सरकार अपना फैसला लेगी.
राज्यपाल ने केंद्रीय मंत्री को लिखा पत्र
झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस (Ramesh Bais) ने भी जैन धर्म के पवित्र स्थल सम्मेद शिखर जी को तीर्थ स्थल ही रहने देने के संबंध में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव को पत्र लिखा है. उन्होंने इस पत्र में कहा कि 'यह मामला जैन समाज की भावनाओं से जुड़ा हुआ है. इसे ध्यान में रखकर इस विषय पर पुनर्विचार करना चाहिए. उन्होंने कहा है कि पर्यावरण मंत्रालय ने इसे वन्यजीव अभयारण्य घोषित कर इको सेंसिटिव जोन में रखा है. झारखंड सरकार ने इसे पर्यटन क्षेत्र घोषित किया है. इस क्षेत्र में मांस मदिरा पान की शिकायते मिल रही हैं. यह जैन धर्मावलंबियों का सबसे बड़ा तीर्थ स्थल है. इसे पर्यटन स्थल घोषित करने पर जैन धर्मावलंबियों का मानना है कि इससे इस क्षेत्र की पवित्रता भंग होगी.'
झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस (Ramesh Bais) ने भी जैन धर्म के पवित्र स्थल सम्मेद शिखर जी को तीर्थ स्थल ही रहने देने के संबंध में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव को पत्र लिखा है. उन्होंने इस पत्र में कहा कि 'यह मामला जैन समाज की भावनाओं से जुड़ा हुआ है. इसे ध्यान में रखकर इस विषय पर पुनर्विचार करना चाहिए. उन्होंने कहा है कि पर्यावरण मंत्रालय ने इसे वन्यजीव अभयारण्य घोषित कर इको सेंसिटिव जोन में रखा है. झारखंड सरकार ने इसे पर्यटन क्षेत्र घोषित किया है. इस क्षेत्र में मांस मदिरा पान की शिकायते मिल रही हैं. यह जैन धर्मावलंबियों का सबसे बड़ा तीर्थ स्थल है. इसे पर्यटन स्थल घोषित करने पर जैन धर्मावलंबियों का मानना है कि इससे इस क्षेत्र की पवित्रता भंग होगी.'