Jharkhand Greenery Returned in The Hazaribagh Jagdishpur Forest: हजारीबाग (Hazaribagh) के जगदीशपुर (Jagdishpur) नाम के गांव में लगभग डेढ़ दशक पहले उजड़ गया एक जंगल ग्रामीणों के सामूहिक संकल्प की बदौलत पुनर्जीवित हो उठा है. वन विभाग ने अफसरों ने भी ग्रामीणों का सहयोग किया जिसकी वजह से ये संभव हुआ है. हजारीबाग शहर के पास कनहरी नाम का एक बेहद खूबसूरत पहाड़ी है. ब्रिटिश हुकूमत के वक्त से ही ये पहाड़ी और उसके पास-पास का इलाका पर्यटकों और सैलानियों के आकर्षण का केंद्र रहा है. जगदीशपुर जंगल इसी पहाड़ी की तराई में स्थित है. एक दौर में ये जंगल (Forest) इतना घना था कि यहां शेर, बाघ, हिरण जैसे जानवर विचरण करते दिख जाते थे. लेकिन जैसे-जैसे शहर का फैलाव हुआ, जंगल कटता-सिमटता चला गया. आबादी बढ़ने के साथ इलाके में आवागमन बढ़ा और जंगल से होकर गांवों की ओर जाने के लिए रास्ते बन गए. दतवन और जलावन के नाम पर साल-सखुआ के पेड़ कटते गए. जंगली जानवर तो नहीं बचे, वर्ष 2004-05 के आसपास जंगल का वजूद भी लगभग खत्म हो गया. जंगल के नाम पर गिनती के पेड़ और झाड़ियां ही रह गई थीं.
पेड़ ना काटने का लिया गया संकल्प
जंगल सिमटता गया तो कुछ सजग ग्रामीणों और वन विभाग के अफसरों ने वर्ष 2008 में प्रयास शुरू किया कि बचे हुए पेड़ ना कटें और नए सिरे से पेड़ों का लगाया जाए. जगदीशपुर के ग्रामीण बताते हैं कि इलाके के तत्कालीन डीएफओ (डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर) महेंद्र प्रसाद ने कई बार गांव आए, गांव के लोग एक साथ बैठे. सबने मिलकर संकल्प लिया कि जंगल से कोई भी व्यक्ति पेड़ नहीं काटेगा. जंगल को साफ कर जो रास्ता बन गया था, उसे बंद करने का फैसला हुआ.
रंग लाई लोगों की मेहनत
वन प्रबंधन एवं संरक्षण समिति गठित की गई. लोगों ने श्रमदान कर नए पौधे लगाने के लिए गड्ढे खोदे. वन विभाग की ओर से पौधे उपलब्ध कराए गए. वन प्रबंधन समिति ने इनकी सुरक्षा का जिम्मा संभाला. यहां तक कि जंगल से दतवन और पत्ते तोड़ने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया. लोगों की मेहनत और जंगल बचाने को लेकर बनाए गए नियमों को लेकर अनुशासन का सुखद परिणाम धीरे-धीरे सामने आने लगा. अवैध कटाई से ठूंठ बने पेड़ों में जान लौटने लगी. हजारों पौधे अब पेड़ में बदल गये हैं. साल, सखुआ, सागवान, अकेशिया के हजारों पेड़ 10 से 15 फीट ऊंचे हो गए हैं. जगदीशपुर के जंगल में लौटी हरियाली ने कनहरी और आस-पास के इलाकों की दशकों पुरानी खूबसूरती लौटा दी है.
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