Jharkhand Reservation: झारखंड (Jharkhand) की हेमंत सोरेन (Hemant Soren) सरकार ने बुधवार शाम कैबिनेट की बैठक में आरक्षण (Reservation) और डोमिसाइल पॉलिसी पर बड़े फैसले लिए हैं. राज्य में पिछड़ा वर्ग (OBC) के साथ-साथ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को मिलने वाले आरक्षण में वृद्धि का प्रस्ताव पारित किया गया है. स्वीकृत प्रस्ताव के अनुसार ओबीसी को मिलने वाले आरक्षण को 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत किया जाएगा. इसी तरह अनुसूचित जाति (SC) को मिलने वाला आरक्षण 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति (ST) का आरक्षण 26 से बढ़ाकर 28 प्रतिशत किया जाएगा. इसके अलावा अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EWS) के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है. इस तरह कुल मिलाकर राज्य में अब आरक्षण का प्रतिशत 50 से बढ़कर 77 हो जाएगा. इसके साथ ही कैबिनेट ने झारखंड का डोमिसाइल (स्थानीय निवासी) होने के लिए नया मापदंड तय किया है. 


'झारखंड के वीर शहीद अमर रहें'
बुधवार शाम कैबिनेट में लिए गए फैसले के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विनिंग साइन वाली फोटो के साथ ट्वीट कर कहा है कि, ''झारखंड के वीर शहीद अमर रहें! जय झारखंड!!''






इन्हें मिलेगा आरक्षण का लाभ
यहां ये भी बता दें कि, नई पॉलिसी के अनुसार जिन व्यक्तियों या जिनके पूर्वजों के नाम 1932 में राज्य में हुए भूमि सर्वे के कागजात (खतियान) में दर्ज होंगे, उन्हें ही झारखंड राज्य का डोमिसाइल यानी स्थानीय निवासी माना जाएगा. ऐसे लोग जिनके पूर्वज 1932 या उसके पहले से झारखंड में रह रहे हैं, लेकिन जमीन ना होने के कारण जिनके नाम 1932 के सर्वे कागजात (खतियान) में दर्ज नहीं होंगे, उन्हें ग्राम सभाओं की पहचान के आधार पर डोमिसाइल माना जाएगा. आरक्षण का लाभ उन्हें ही मिलेगा, जो झारखंड के डोमिसाइल होंगे. 


राज्य सरकार को करना होगा ये काम 
कैबिनेट सचिव वंदना डाडेल ने बताया कि कैबिनेट में पारित प्रस्ताव के अनुसार आरक्षण बढ़ाने और डोमिसाइल की पॉलिसी लागू करने के लिए राज्य सरकार विधानसभा में विधेयक पारित कराएगी. इसके बाद इन्हें संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए केंद्र सरकार को भी भेजा जाएगा. गौरतलब है कि, 9वीं अनुसूची केंद्र और राज्य के कानूनों की ऐसी सूची होती है, जिन्हें न्यायालय के समक्ष चुनौती नहीं दी जा सकती है.


लंबे समय से उठ रही थी मांग 
बता दें कि, झारखंड कैबिनेट के इन दोनों फैसलों को राज्य की मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों के बीच बेहद अहम माना जा रहा है. झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद तीनों सत्ताधारी पार्टियों ने अपने चुनावी घोषणापत्र में भी पिछड़ों के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण का वादा किया था. इसी तरह 1932 के खतियान के आधार पर डोमिसाइल का मुद्दा झारखंड अलग राज्य बनने के साथ ही उठ रहा था. झारखंड मुक्ति मोर्चा के कई विधायक और राज्य के कई संगठन इसकी मांग लंबे अरसे से उठा रहे थे. वर्ष 2003 में झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व वाली सरकार ने भी 1932 के खतियान पर आधारित डोमिसाइल पॉलिसी का फैसला लिया था, लेकिन हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था.


ये भी पढ़ें: 


Jharkhand: शख्स ने नाम और धर्म छिपाकर हिंदू लड़की से की शादी, जानें कैसे 4 साल बाद खुला राज


JPSC के अध्यक्ष पद पर डॉ नीलिमा केरकेट्टा की नियुक्ति पर लगी मुहर, महाराष्ट्र कैडर की रह चुकी हैं IAS अफसर