Jharkhand News: हेमंत सोरेन सरकार मॉब लिचिंग के खिलाफ लाएगी कानून, विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में बिल पेश करने की हो रही तैयारी
मॉब वायलेंस और मॉब लिंचिंग बिल 2021 को 16 दिसंबर से शुरू होने वाले राज्य विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा. इसका मकसद संवैधानिक अधिकार की रक्षा करते हुए भीड़ की हिंसा की रोकथाम करना है.
झारखंड राज्य में कई दिल दहला देने वाली मॉब लिंचिंग की घटनाएं हो चुकी हैं. अक्सर यहां भीड़ तंत्र द्वारा पीट-पीटर बेरहमी से हत्या करने की वारदातें सामने आई हैं. 2019 का ही मामला है जब 24 वर्षीय तबरेज अंसारी को चोरी के शक में सरायकेला खरसवां जिले के धतकीडीह हांव में भीड़ ने डंडे से बांधकर बेरहमी से पीट-पीटकर मार डाला था. इस तरह की हृदयविदारक घटनाओं को रोकने के मकसद से राज्य की हेमंत सरकार मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून लाने की तैयारी कर ली है.
मॉब वायलेंस और मॉब लिंचिंग बिल 2021 को शीतकालीन सत्र में किया जाएगा पेश
एक बार अंतिम रूप दिए जाने के बाद, मॉब वायलेंस और मॉब लिंचिंग बिल 2021 को 16 दिसंबर से शुरू होने वाले राज्य विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा. मसौदा बिल के अनुसार, इसका उद्देश्य "प्रभावी सुरक्षा" प्रदान करना है. इसके साथ ही इसका मकसद संवैधानिक अधिकार की रक्षा करते हुए भीड़ की हिंसा की रोकथाम करना है. अगर ये बिल पारित हो जाता है, तो झारखंड राज्य लिंचिंग विरोधी कानूनों को लागू वाले पश्चिम बंगाल और राजस्थान के बाद तीसरा राज्य होगा.
लीचिंग के दोषियों को तीन साल की सजा और जुर्माना
"विस्फोटक और गैर-जिम्मेदार" सामग्री के प्रसार पर एफआईआर दर्ज करना, मामले की प्रगति की जानकारी, पीड़ितों को मुफ्त चिकित्सा उपचार और पीड़ितों या गवाहों के लिए "शत्रुतापूर्ण वातावरण" बनाने की सजा झारखंड के प्रस्तावित एंटी-लिंचिंग कानून के प्रावधानों में से हैं. इंडियन एक्स्प्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक ड्राफ्ट किए गए बिल में लिंचिंग के दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ जुर्माने और संपत्तियो की कुर्की के साथ ही तीन साल से लेकर आजीवन कारावास तक का प्रावधान है. इसके अलावा यह "शत्रुतापूर्ण वातावरण" लागू करने वालों के लिए जुर्माना की अनुमति देता है. इसमें इसकी परिभाषा में पीड़ित, पीड़ित के परिवार के सदस्यों, गवाह या गवाह/पीड़ित को सहायता प्रदान करने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ धमकी या जबरदस्ती का माहौल शामिल है.
पीड़ित की मौत होने पर दोषियों को कठोर कारावास के साथ 25 लाख का जुर्माना
ड्राफ्ट किए गए बिल में ये भी प्रावधान किया गया है कि अगर मॉब लिंचिंग के दौरान पीड़ित की मृत्यु हो जाती है तो दोषियो को कठोर कारावास से दंडित किया जाएगा और जुर्माना 25 लाख रुपये से कम नहीं होगा. इसके साथ ही चल और अचल संपत्तियों को कुर्क किया जाएगा. वहीं साजिश या उकसाने के दोषी पाए गए लोगों के लिए , मसौदे में कहा गया है कि इनकी सजा 'लिंचिंग' के समान होगी.”
पुलिस के कर्तव्यों को भी सूचीबद्ध किया गया है
ड्राफ्ट किए गए बिल में भीड़ की हिंसा और संभावित लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के लिए पैटर्न की पहचान करने जैसे सभी "उचित कदम" उठाने के लिए पुलिस के कर्तव्यों को भी सूचीबद्ध किया गया है.इस तरह की हिंसा का मामला दर्ज होने के बाद, पुलिस को पीड़ितों को लिखित रूप में जांच की प्रगति के बारे में सूचित करना होगा.
सभी अस्पतालों को पीड़ितों को मुफ्त में इलाज करना होगा
ऐसे अपराधों के पीड़ितों के लिए, ड्राफ्ट बिल में कहा गया है कि उनके पास किसी भी अदालती कार्यवाही के "समय पर" नोटिस का अधिकार है और जमानत, दोषसिद्धि, सजा आदि जैसे मुद्दों के संबंध में किसी भी कार्यवाही में सुनवाई के हकदार होंगे. सभी अस्पतालों को पीड़ितों को मुफ्त में चिकित्सा उपचार प्रदान करना चाहिए और तुरंत पुलिस को सूचित करना चाहिए.
गौरतलब है कि अगर बिल पेश किया जाता है, तो उसके आसानी से पारित होने की संभावना है क्योंकि झामुमो-कांग्रेस-राजद के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के पास झारखंड विधानसभा की 81 में से 49 सीटें हैं.
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