Jharkhand News: झारखंड के विभिन्न सरकारी विभागों में कांट्रैक्ट पर काम करने वाले कर्मियों की सेवा स्थायी करने के मुद्दे पर टकराव की स्थिति पैदा हो गई है. इस मुद्दे पर सोमवार को झारखंड की राजधानी रांची की सड़कों पर अलग-अलग समूहों के प्रदर्शन की वजह से पूरा शहर अस्त-व्यस्त रहा. एक तरफ हजारों कांट्रैक्ट कर्मियों ने अपनी सेवा नियमित करने की मांग को लेकर राजभवन के समक्ष प्रदर्शन किया, तो दूसरी तरफ कई आदिवासी संगठनों ने कर्मियों की सेवा के स्थायीकरण पर विरोध दर्ज कराते हुए मार्च निकाला. इन प्रदर्शनों की वजह से शहर में चार-पांच घंटे तक जबरदस्त ट्रैफिक जाम की स्थिति बनी रही.


कांट्रैक्ट कर्मियों ने किया अनिश्चितकालीन हड़ताल का एलान
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत विभिन्न जिलों में अनुबंध पर काम कर रहे हजारों स्वास्थ्यकर्मी रांची में इकट्ठा हुए. वे अपनी सेवा के नियमितीकरण और समायोजन को लेकर बड़े जुलूस की शक्ल में सीएम हाउस की ओर बढ़ रहे थे तो पुलिस ने उन्हें रोक दिया. इसके बाद प्रदर्शनकारी राजभवन की ओर बढ़े. कुछ प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेडिंग लांघने की कोशिश की तो पुलिस ने हल्का बल प्रयोग किया. प्रदर्शनकारियों का कहना था कि मुख्यमंत्री सोरेन ने तीन महीने के भीतर इन्हें नियमित करने का वादा किया था, लेकिन तीन साल में भी यह पूरा नहीं किया गया है. अब कर्मियों ने राजभवन के पास धरना देते हुए 17 जनवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल और आमरण अनशन का आह्वान किया है.


'कांट्रैक्ट कर्मियों को नियमित करने की कोशिश का होगा पुरजोर विरोध'
इधर, आदिवासी संगठनों ने ऐलान किया है कि सरकार द्वारा कांट्रैक्ट पर कार्यरत कर्मियों को नियमित करने की कोशिश का पुरजोर विरोध होगा. संगठनों का कहना है कि यह झारखंड के आदिवासियों-मूलवासियों के साथ अन्याय है, क्योंकि कांट्रैक्ट पर काम कर रहे ज्यादातर कर्मी बाहर के राज्यों के हैं.


 इनकी नियुक्ति में एसटी-एससी आरक्षण रोस्टर का पालन नहीं हुआ है. इसके जरिए बिना नियम कानून के भाई-भतीजेवाद के तौर नियुक्तियां हुई हैं. यह बैकडोर से सरकारी विभागों में बाहरी लोगों को एडजस्ट करने की कोशिश की है. इस मुद्दे को लेकर विभिन्न आदिवासी संगठनों ने सोमवार की शाम में एक विरोध मार्च निकाला और अलबर्ट एक्का चौक पर सरकार का पुतला फूंका. इस मार्च की अगुवाई राष्ट्रीय आदिवासी समाज सरना धर्म रक्षा अभियान के बंधन तिग्गा ने किया. प्रदर्शन में राजी पड़हा सरना समिति, केंद्रीय सरना समिति, झारखंड आदिवासी संयुक्त मोर्चा, केंद्रीय सरना संघर्ष समिति सहित कई संगठनों के लोगों ने हिस्सा लिया.


यह भी पढ़ें:


Jharkhand: समलैंगिक देवरानी-जेठानी का प्यार नहीं हुआ मुकम्मल, परिवार के दबाव में उठाया ऐसा कदम कि आपकी रूह कांप जाएगी