Jharkhnd News: झारखंड हाई कोर्ट (High Court) ने राज्य सरकार और प्रवर्तन निदेशालय (ED) को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ खनन पट्टा मामले में की गई जांच की स्थिति रिपोर्ट पेश करने का सोमवार को निर्देश दिया. पट्टा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) के पक्ष में उनकी व्यक्तिगत हैसियत से प्रदान किया गया था, जबकि उनके पास खनन विभाग का प्रभार था. मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति आनंद सेन की बेंच ने सूचना का अधिकार (आरटीआई) कार्यकर्ता सुनील कुमार महतो द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार और ईडी को स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. वहीं इस मामले में अगली सुनवाई एक मई को होगी.
उच्चस्तरीय जांच मांग
इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता विनोद सिंह व अधिवक्ता विशाल ने पक्ष रखते हुए बताया कि खान विभाग के मंत्री रहते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अनगड़ा में 88 डिसमिल जमीन पर माइनिंग लीज का आवंटन कराया है. वहीं, हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन व उनकी बहन सरला मुर्मू की कंपनी सोहराई लाइवस्टोक प्राइवेट लिमिटेड के नाम चान्हो के बरहे औद्योगिक क्षेत्र में 11 एकड़ जमीन आवंटित किया गया. सीएम के प्रेस सलाहकार अभिषेक प्रसाद पिंटू व सीएम के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्र को भी खनन लीज आवंटित हुआ है. अधिवक्ता ने आरोप लगाया कि पद का दुरुपयोग कर सारे काम किये गये हैं. उन्होंने मामले की उच्चस्तरीय जांच कराने का आग्रह किया.
क्या है पूरा मामला?
वहीं, राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने जनहित याचिका की मेंटेनेबिलिटी पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. समान मामले में शिवशंकर शर्मा की जनहित याचिका पूर्व में सुप्रीम कोर्ट से खारिज हो चुकी है. सीएम हेमंत सोरेन व अन्य के खिलाफ शिवशंकर शर्मा की जनहित याचिका में झारखंड हाइकोर्ट द्वारा पारित आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया है. दोबारा उसी बात को उक्त याचिका में उठाया जाना कहीं से भी उचित नहीं है. दरअसल, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईडी ने जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के उल्लंघन और साहेबगंज जिले में एक अवैध खनन मामले से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) जांच के लिए तलब किया था. ईडी ने कहा था कि उसने राज्य में अब तक 1000 करोड़ रुपये के अवैध खनन से संबंधित अपराध का पता लगाया.