Jharkhand News: झारखंड हाईकोर्ट ने सीएम सोरेन को दी बड़ी राहत, आचार संहिता के उल्लंघन मामले में दिया ये फैसला
Hemant Soren News: हेमंत सोरेन पर 2014 के झारखंड विधानसभा चुनाव के दौरान आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप है. उनके खिलाफ आदित्यपुर थाने में मुकदमा दर्ज है. हाईकोर्ट में अब छह सप्ताह बाद फिर सुनवाई होगी.
Jharkhand High Court: झारखंड हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) के खिलाफ आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप में 2014 में दर्ज एक मामले में बड़ी राहत दी है. हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई कर रही जमशेदपुर (Jamshedpur) की एक अदालत में उनके खिलाफ कार्रवाई पर मंगलवार को रोक लगा दी. जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी (Sanjay Kumar Dwivedi) की पीठ ने कहा कि सोरेन के खिलाफ कोई बलपूर्वक कार्रवाई नहीं की जा सकती और उन्होंने राज्य सरकार को मामले में एक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.
सोरेन ने जमशेदपुर की अदालत में उनके खिलाफ लंबित कार्यवाही को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. यह मामला 2014 के विधानसभा चुनाव के दौरान आदित्यपुर थाने में दर्ज एक मुकदमे पर आधारित है. हाईकोर्ट में छह सप्ताह बाद मामले की फिर सुनवाई होगी. सोरेन पर आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप है. उनपर आरोप है कि उन्होंने अपनी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के उम्मीदवार के लिए निर्धारित समय से ज्यादा देर तक प्रचार किया था. हाईकोर्ट ने 2022 में उनके खिलाफ ऐसा ही एक अन्य मामला रद्द कर दिया था.
ईडी के समन मामले में नहीं मिली थी राहत
दूसरी तरफ कुछ दिनों पहले ही सीएम हेमंत सोरेन को झारखंड हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा था. चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र और जस्टिस आनंद सेन की बेंच ने बीते शुक्रवार को ईडी के समन के खिलाफ हेमंत सोरेन की याचिका खारिज कर दी थी. हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने अपनी दलील में कहा कि सीएम सोरेन ने समन का पहले ही उल्लंघन किया है. वे ईडी के किसी भी समन पर उपस्थित नहीं हुए. ऐसे में उनका समन को चुनौती देने का कोई औचित्य नहीं है, इसलिए उन्हें राहत नहीं दी जा सकती.
जमीन घोटाला मामले में ईडी ने भेजा था समन
गौरतलब है कि ईडी ने जमीन घोटाला मामले में पूछताछ के लिए हेमंत सोरेन को पांच समन भेजे थे, लेकिन वे किसी भी समन पर उपस्थित नहीं हुए. उन्होंने बीते 23 सितंबर को ईडी की ओर से जारी समन के खिलाफ हाईकोर्ट में रिट दायर किया था. इसमें समन को कानून के खिलाफ बताया गया था और पीएमएलए एक्ट की अलग-अलग धाराओं की वैधता को भी चुनौती दी गई थी. इसके पहले सोरेन सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन कोर्ट ने इसे एंटरटेन करने के बजाय उन्हें पहले हाईकोर्ट जाने को कहा था.