Jharkhand News: झारखंड में जमीन घोटाला और कोयला घोटाले के बाद अब चाईबासा में 28 करोड़ रुपये के मनरेगा घोटाले की जांच भी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) करेगा. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने मंगलवार को सुनवाई के बाद राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि मामले में दर्ज सभी एफआईआर की कॉपी ईडी को सौंपे. ईडी एक महीने में इसकी जांच कर अपनी रिपोर्ट अदालत में सौंपेगा. इसके लिए ईडी को 30 सितंबर तक का समय दिया गया है. दरअसल, हाईकोर्ट में मतलूब आलम की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद अदालत ने यह निर्देश दिया है.


इससे पहले अदालत ने राज्य सरकार को संबंधित मामलों में दर्ज केस की अद्यतन जानकारी पेश करने को कहा था, लेकिन सरकार की ओर से जवाब पेश नहीं किया जा सका. इस मामले की सीबीआई जांच कराने को लेकर साल 2013 में याचिकाकर्ता मतलूब आलम ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. पहले अदालत ने याचिका को निष्पादित कर दिया था. याचिकाकर्ता ने फिर 2021 में जनहित याचिका दायर की. इसी याचिका पर सुनवाई के बाद अदालत ने निर्देश दिया है.


मनरेगा घोटाला के कई मामले एसीबी में दर्ज
चाईबासा मनरेगा घोटाला को लेकर एसीबी में आधा दर्जन से अधिक मामले दर्ज किये गये हैं. इनमें से तीन मामलों में 2017 में ही चार्जशीट दाखिल हो चुका है, लेकिन अभियुक्तों की अनुपस्थिति की वजह से छह साल से मामला लंबित है. दो मामलों में फाइनल फॉर्म जमा हो चुका है. अभियुक्तों के खिलाफ अभियोजन चलाने की अनुमति नहीं मिलने से मामला लंबित है. कुछ अभियुक्तों को हाइकोर्ट व चाईबासा के स्पेशल कोर्ट से बेल मिली हुई है. एक मामले में 23 सितंबर 2022 को अभियुक्तों के खिलाफ अभियोजन चलाने की अनुमति मांगी गयी है, लेकिन इस पर अभी तक निर्णय नहीं हो पाया है.


28 करोड़ रुपये का हुआ है घोटाला
वहीं सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजीव कुमार ने अदालत को जानकारी दी कि, साल 2008-2009, 2009-10 व 2010-11 के वित्तीय वर्ष में लगभग 28 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितता मनरेगा के तहत की गयी. इस मामले में चाईबासा पुलिस की ओर से 14 केस दर्ज किये गये हैं. पुलिस से जांच का जिम्मा लेकर साल 2015 में एसीबी को दिया गया. एसीबी की जांच में भी कोई कार्रवाई नहीं की गयी. याचिकाकर्ता द्वारा अदालत को बताया गया कि, अग्रिम भुगतान के रूप में राशि का भुगतान कर दिया गया, लेकिन धरातल पर किसी भी तरह का कोई काम नहीं हुआ. इस अवधि में सुनील कुमार व के श्रीनिवासन चाईबासा के उपायुक्त रहे हैं.



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