RIMS में पांच साल पहले हुई 28 मरीजों की मौत के मामले में गठित हो कमेटी, HC का सरकार को आदेश
RIMS: 2018 में जूनियर डॉक्टरों और नर्सों ने स्ट्राइक कर दिया था. स्ट्राइक के दौरान रिम्स में करीब 35 मरीजों का ऑपरेशन टल गया था. इसके साथ ही इलाज न हो पाने से 28 मरीजों की भी मौत हो गई थी.
Jharkhand News: झारखंड के रांची (Ranchi) स्थित मेडिकल कॉलेज रिम्स (RIMS) में जून 2018 में जूनियर डॉक्टरों और नर्सों की हड़ताल के दौरान 28 मरीजों की मौत हो गई थी. वहीं अब इसकी जांच के लिए झारखंड हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को कमेटी गठित करने का निर्देश दिया है. इस कमेटी की अध्यक्षता रिटायर्ड प्रधान जिला जज करेंगे. हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को जांच कमेटी गठित कर जवाब दाखिल करने का भी निर्देश दिया है. चीफ जस्टिस संजय मिश्र की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर गुरुवार को सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया.
दरअसल, यह याचिका झारखंड छात्र संघ की ओर से दायर की गई है. इसमें बताया गया है कि 1 जून 2018 को रिम्स में एक पेशेंट की मृत्यु कथित रूप से गलत ट्रीटमेंट की वजह से हो गई थी. इसके बाद मृतक के परिजनों ने प्रोटेस्ट किया था. इसे लेकर रिम्स के जूनियर डॉक्टरों और मृतक के परिजनों के बीच झड़प हो गई थी. इसके बाद रिम्स में 2 जून 2018 से जूनियर डॉक्टरों और नर्सों ने स्ट्राइक कर दिया था. स्ट्राइक के दौरान रिम्स में पूरी चिकित्सा व्यवस्था ध्वस्त हो गई थी. इसके साथ ही इस दौरान करीब 35 मरीजों का ऑपरेशन टल गया था. वहीं 600 से ज्यादा मरीज रिम्स से बगैर इलाज के वापस लौट गए थे.
हाई कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
जूनियर डॉक्टरों और नर्सों ने स्ट्राइक के दौरान हालात इतने बिगड़ गए कि इलाज के बिना 28 मरीजों की भी मौत हो गई थी. इस मामले को लेकर कोतवाली थाना में जिम्मेदार जूनियर डॉक्टरों और नर्सों के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया था, लेकिन जूनियर डॉक्टरों और नर्सों को नोटिस दिए जाने के अलावा कोई कार्रवाई नहीं हुई. इसके बाद छात्र संघ की ओर से दायर याचिका में इस पूरे मामले की जांच कमेटी बनाकर करने और इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ एक्शन लेने की मांग की गई थी. इस याचिका पर पिछली सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि इस मामले में क्या एक्शन लिया गया. मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने, उनके पुनर्वास करने आदि पर कोई पहल हुई या नहीं या हड़ताल करने वाले जूनियर डॉक्टरों और नर्सों पर कोई कार्रवाई हुई?
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