Jharkhand News: झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस डॉ एसएन पाठक की कोर्ट ने सेवा नियमितीकरण को लेकर दायर लगभग सौ से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई की. प्रार्थियों का पक्ष सुनने के बाद अदालत ने सुनवाई के लिए चार बिंदु तय किए. अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि दिसंबर 2012 में नरेंद्र कुमार तिवारी व अन्य के मामले में फैसला दिया था. ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य सरकार नियमितीकरण नीति पर सही ढंग से काम नहीं कर रही है.


पूर्व के फैसले के बाद भी उसी तरह के कई मामले हाई कोर्ट के समक्ष आ रहे हैं. अदालत ने यह भी कहा कि राज्य सरकार यदि शपथ पत्र दायर करना चाहती है, तो वह इसके लिए स्वतंत्र है. सेवा नियमितीकरण के अन्य लंबित मामलों को भी मामले के साथ सूचीबद्ध करने को कहा. मामले की अगली सुनवाई के लिए अदालत ने 27 जुलाई की डेट निर्धारित की. इससे पूर्व प्रार्थियों की ओर से वरीय अधिवक्ता अनिल कुमार सिन्हा, अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने पक्ष रखा.


हाई कोर्ट ने इन मुद्दों पर सरकार से मांगा जवाब


वहीं इससे पहले हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि वह हलफनामा दाखिल कर बताएं कि, राज्य की विभिन्न अदालतों में दिव्यांगों के लिए क्या सुविधाएं हैं? पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज की एक जनहित याचिका पर कोर्ट ने ऑनलाइन सुनवाई की. इस दौरान मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा एवं न्यायमूर्ति आनंद सेन की पीठ ने राज्य सरकार को इस सिलसिले में हलफनामा दाखिल करने को कहा.


इसके साथ ही झारखंड हाई कोर्ट ने पलामू में धान खरीद गड़बड़ी मामले में दायर जनहित याचिका पर ऑनलाइन सुनवाई की. चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को जवाब दायर करने का निर्देश दिया. जवाब दायर करने के लिए सरकार को पांच सप्ताह का समय प्रदान किया. अब मामले की सुनवाई अगस्त माह में होगी.



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