Jharkhand News: झारखंड हाई कोर्ट (High Court) ने राज्य सूचना आयोग में सूचना आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर अवमानना याचिका सहित अन्य जनहित याचिका पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र व जस्टिस आनंद सेन की बेंच ने मामले की सुनवाई के दौरान प्रार्थियों का पक्ष सुनने के बाद झारखंड विधानसभा के सचिव को निर्देश दिया. बेंच ने सचिव को निर्देश देते हुए कहा कि नेता प्रतिपक्ष के मामले में स्पीकर को एक सप्ताह में निर्णय लेने संबंधी राय दें.


स्पीकर के समक्ष दल-बदल के लंबित मामले को रखें, ताकि वह एक हफ्ते में मामला निष्पादित हो सके. यदि नेता प्रतिपक्ष का मसला हल नहीं होता है, तो अगली सुनवाई के दौरान विधानसभा सचिव कोर्ट में उपस्थित रहें. बेंच ने इस बात पर नाराजगी जताते हुए कहा कि नेता प्रतिपक्ष के नहीं रहने के कारण कई संवैधानिक संस्थाओं में नियुक्ति नहीं हो पा रही है. वहीं दल-बदल से संबंधित मामला अब तक विधानसभा अध्यक्ष के ट्रिब्यूनल में लंबित पड़ा हुआ है. यह स्थिति ठीक नहीं है.


11 मई को अगली सुनवाई
वहीं बेंच ने बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी, विधायक प्रदीप यादव व विधायक बंधु तिर्की द्वारा दायर याचिका को भी इस मामले के साथ टैग करते हुए मामले की अगली सुनवाई के लिए 11 मई की डेट निर्धारित की. इससे पूर्व विधानसभा सचिव की ओर से अधिवक्ता अनिल कुमार ने पक्ष रखा. अवमानना याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अभय कुमार मिश्र ने पक्ष रखते हुए राज्य सूचना आयोग में मुख्य सूचना आयुक्त सहित आयुक्तों का मामला उठाया.


इतने पद खाली
प्रदीप यादव व बंधु तिर्की की ओर से अधिवक्ता सुमित गाड़ोदिया उपस्थित थे. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने विधानसभा सचिव को मामले में प्रतिवादी बनाया था और जवाब मांगा था. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी राजकुमार ने अवमानना याचिका दायर की है. उन्होंने हाइकोर्ट के आदेश का अनुपालन कराने की मांग की है. वहीं लोकायुक्त, राज्य मानवाधिकार आयोग, पुलिस शिकायत अथॉरिटी सहित लगभग 12 संवैधानिक संस्थाओं में अध्यक्ष व सदस्यों का पद खाली है. इन पदों को भरने को लेकर एडवोकेट एसोसिएशन व अन्य की ओर से अलग-अलग जनहित याचिका दायर की गयी है, जिसकी सुनवाई साथ-साथ हो रही है.


क्या कहा विधानसभा अध्यक्ष ने?
विधानसभा अध्यक्ष रबींद्रनाथ महतो ने कहा कि हाई कोर्ट ने बाबूलाल मरांडी के मामले में क्या निर्णय दिया है, इसकी जानकारी नहीं है. कोर्ट के फैसले की जानकारी लेने के बाद ही कुछ बोलने की स्थिति में रहूंगा. अभी सुनी-सुनाई बातों पर क्या बोलेंगे. स्पीकर श्री महतो ने कहा कि जहां तक विलंब होने की बात है, तो न्याय संगत और नियम कानून के निर्णय हो, इसलिए विलंब हुआ है. उचित निर्णय और तर्क संगत फैसला होना चाहिए. इस तरह के मामले से केवल झारखंड प्रभावित नहीं है, पूरे देश में यह मामला चल रहा है. महतो ने कहा कि इसके कई पहलु का अध्ययन करना है. हर जगह की जानकारी लेनी है.



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