Jharkhand HC On Private Sector Jobs: झारखंड हाईकोर्ट ने प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों को लेकर बड़ा निर्णय लिया है. अदालत ने राज्य में प्राइवेट सेक्टर में 40,000 रुपये प्रति माह तक के वेतन वाली नौकरियों में स्थानीय लोगों को 75 प्रतिशत आरक्षण की गारंटी देने वाले कानून को लागू किए जाने पर रोक लगा दी है.


हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव और जस्टिस दीपक रोशन की बेंच ने बुधवार (11 दिसंबर) को ‘झारखंड राज्य के निजी क्षेत्र में स्थानीय उम्मीदवारों का नियोजन अधिनियम, 2021’ के प्रावधानों को चुनौती देने वाली एक लघु उद्योग संघ की याचिका पर सुनवाई की.


2021 में पारित अधिनियम में क्या?


झारखंड विधानसभा की ओर से 2021 में पारित अधिनियम के अनुसार, हर नियोक्ता, जहां सकल मासिक वेतन (Gross Monthly Salary) या मजदूरी 40,000 रुपये से अधिक नहीं है, उसे ऐसे पदों के संबंध में कुल मौजूदा वैकेंसी में 75 फीसदी पदों को स्थानीय उम्मीदवारों द्वारा भरना होगा.


झारखंड लघु उद्योग संघ के वकील ने क्या कहा?


झारखंड लघु उद्योग संघ के वकील ए.के. दास ने कहा, ''इस अधिनियम से राज्य के उम्मीदवारों और झारखंड से बाहर के उम्मीदवारों के बीच स्पष्ट विभाजन पैदा हो गया है.'' दास ने दावा किया कि अधिनियम का कार्यान्वयन संविधान के सिद्धांतों के विरुद्ध है जो रोजगार में समानता की गारंटी देता है. वकील ने दलील देते हुए कहा, ''राज्य सरकार निजी कंपनियों को केवल एक निश्चित कैटेगरी के लोगों को रोजगार देने के संबंध में निर्देश नहीं दे सकती.


याचिका पर जवाब दाखिल करने का आदेश


उन्होंने कहा, ''ऐसे मुद्दों पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा पहले ही निर्णय दिया जा चुका है, जिसने पंजाब और हरियाणा सरकारों की ओर से लाए गए इसी प्रकार के कानून को खारिज कर दिया था.'' झारखंड हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद राज्य सरकार को याचिका पर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया और 20 मार्च को इस पर फिर सुनवाई की जाएगी. 


झारखंड विधानसभा ने सितंबर 2021 में ‘झारखंड राज्य के निजी क्षेत्र में स्थानीय उम्मीदवारों का नियोजन अधिनियम, 2021’ पारित किया था, जो निजी क्षेत्र में 40,000 रुपये प्रति माह तक के वेतन वाली नौकरियों में स्थानीय लोगों को 75 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करता है. इस विधेयक को विधानसभा की एक प्रवर समिति ने कुछ बदलावों के साथ मंजूरी दी थी.


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