Jharkhand Illegal Immigration: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने शनिवार (14 सितंबर) को बांग्लादेश से कथित अवैध घुपैठ को देखते हुए झारखंड में राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण (NRC) तैयार करने की बात की. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा झारखंड हाई कोर्ट में घुसपैठ पर हलफनामा प्रस्तुत करने के बाद राज्य सरकार को तुरंत एनआरसी की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए.
हिमंत बिस्वा सरमा ने बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पर मीडिया से बात करते हुए कहा कि "केंद्र ने विस्तृत सांख्यिकीय आंकड़े पेश किए हैं, जिनसे पता चलता है कि झारखंड में आदिवासी आबादी किस तरह घट रही है. हलफनामा संथाल परगना की स्थिति उजागर करता है. झारखंड सरकार को एनआरसी लागू करना चाहिए."
आदिवासी पहचान खतरे में है- सरमा
यह पूछे जाने पर कि क्या बीजेपी झारखंड में सत्ता में आने पर एनआरसी लागू करेगी, उन्होंने कहा कि "हमारी सरकार बनने पर यह लागू होगा. मैं पूछना चाहता हूं कि जब केंद्र के हलफनामे के बाद सब कुछ साफ हो चुका है तो कल से ही मौजूदा सरकार के कार्यकाल में ऐसा क्यों नहीं किया जा रहा है? घुसपैठ के कारण आदिवासी पहचान और अस्तित्व खतरे में है. मुख्यमंत्री को सख्त कदम उठाने चाहिए."
केंद्र सरकार ने 12 सितंबर को झारखंड हाई कोर्ट को सूचित किया था कि राज्य में अवैध बांग्लादेशी अप्रवासी रह रहे हैं. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद और न्यायमूर्ति अरुण कुमार राय की खंडपीठ के समक्ष दायर हलफनामे में केंद्र ने कहा कि बांग्लादेशी अवैध रूप से साहेबगंज और पाकुड़ जिलों के रास्ते झारखंड में घुस आए हैं.
उन्होंने कहा कि "अगर 10 साल तक यही स्थिति रही तो डीलिमिटेशन के बाद आदिवासियों के हाथ में कुछ नहीं रहेगा. जिस तरह आदिवासियों की संख्या कम होती जा रही है, आज अगर नया परिसीमन होता है तो संथाल में कितनी आदिवासी सीटें बचेंगी. सब कुछ आदिवासियों के हाथ से निकल जाएगा."