Jharkhand: जानें इंडिया को ओलंपिक में पहला गोल्ड दिलाने वाले जयपाल सिंह मुंडा की कहानी, हॉकी के लिए छोड़ दी थी सरकारी नौकरी
Ranchi News: जयपाल सिंह मुंडा अंग्रेजी हुकूमत में सबसे बड़ी नौकरी ICS के लिए चुने गए थे. लेकिन, हॉकी के लिए उनका जुनून ऐसा था कि उन्होंने नौकरी छोड़ दी. उनकी कप्तानी में देश को पहला गोल्ड मिला था.
Jharkhand Jaipal Singh Munda Hockey Academy: 1928 में एम्सटर्डम में आयोजित ओलंपिक (Olympics) में देश को पहली बार गोल्ड जिताने वाली इंडियन हॉकी टीम के कप्तान जयपाल सिंह मुंडा (Jaipal Singh Munda) के पैतृक गांव टकरा में हॉकी (Hockey) प्रतिभाओं को तराशने की एक बड़ी सामुदायिक पहल हुई है. स्वर्गीय जयपाल सिंह मुंडा के परिजनों की पहल पर यहां एक बड़ी हॉकी एकेडमी (Hockey Academy) की योजना आकार ले रही है. उनके पुत्र जयंत जयपाल सिंह मुंडा ने इसके लिए गांव में 60 एकड़ पैतृक जमीन दे दी है. एकेडमी की अनौपचारिक शुरुआत भी हो चुकी है और यहां इन दिनों 40 लड़के-लड़कियों को पूर्व ओलंपयिन और इंटरनेशनल प्लेयर्स की देखरेख में ट्रेनिंग दी जा रही है.
ऐसा था हॉकी के लिए जुनून
केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने भी एकेडमी के लिए सरकारी सहायता का भरोसा दिलाया है. टकरा गांव रांची से लगभग 50 किलोमीटर दूर खूंटी जिले में स्थित है. इसी गांव में जन्मे जयपाल सिंह मुंडा अंग्रेजी हुकूमत में सबसे बड़ी नौकरी आईसीएस के लिए चुने गए थे, लेकिन हॉकी के लिए उनका जुनून ऐसा था कि उन्होंने आईसीएस छोड़ दी थी. उनकी ही कप्तानी में इंडियन टीम ने आज से 94 साल पहले देश को पहला ओलंपिक गोल्ड दिलाया था. बाद में वो देश में आदिवासियों के सबसे बड़े राजनेता के तौर पर उभरे. संविधान सभा से लेकर संसद तक के लिए चुने गए. अब उनके गांव में उनकी ही पैतृक जमीन पर हॉकी एकेडमी बनाकर उनकी स्मृतियों को सहेजने और नई प्रतिभाओं को मुकाम देने की कोशिश शुरू हुई है.
ये है योजना
योजना ये है कि इस एकेडमी को आवासीय ट्रेनिंग सेंटर के तौर पर विकसित किया जाएगा, जिसमें कुल 200 लड़के-लड़कियों को रखकर उन्हें हॉकी प्लेयर के तौर पर तराशा जाएगा. यहां उनकी नियमित पढ़ाई-लिखाई की भी व्यवस्था रहेगी. फिलहाल, डे बोर्डिंग एकेडमी के लिए 30 लड़कियों और 10 लड़कों को प्रशिक्षण देने की शुरुआत हो चुकी है. इन सभी को झारखंड के विभिन्न इलाकों में ट्रायल और टैलेंट हंट के जरिए चुना गया है. कई कंपनियों और संस्थाओं ने सहयोग के लिए हामी भरी है. टाइल्स बनाने वाली एक बड़ी कंपनी डे बोर्डिंग सेंटर में ट्रेनिंग कर रहे लड़के-लड़कियों के लिए भोजन की व्यवस्था प्रायोजित की है.
झारखंड में है हॉकी का क्रेज
पूर्व ओलंपियन हॉकी प्लेयर मनोहर टोपनो एकेडमी के संचालन के लिए बनाई गई कमेटी के चेयरपर्सन बनाए गए हैं, जबकि जयपाल सिंह मुंडा के पुत्र जयंत जयपाल सिंह मुंडा सचिव हैं. एकेडमी में इंटरनेशनल हॉकी प्लेयर रहीं सावित्री पूर्ति, सुमराय टेटे और भारतीय महिला हॉकी टीम की पूर्व कैप्टन असुंता लकड़ा भी शामिल हैं. रांची स्थित साई ट्रेनिंग सेंटर के प्रशिक्षक जगन टोपनो, मेकॉन रांची के पूर्व हॉकी प्रशिक्षक एलेक्स लकड़ा, पूर्व अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी विश्वास पूर्ति, कांति बा एवं कई खिलाड़ी चुनी गई प्रतिभाओं को तराशने के इस अभियान में सहभागी हैं. कमेटी के चेयरपर्सन मनोहर टोपनो कहते हैं कि झारखंड के खूंटी, सिमडेगा, गुमला सहित कई इलाकों में गांव-गांव में हॉकी खेली जाती है. उभरते खिलाड़ियों को शुरुआत से बेहतरीन ट्रेनिंग देना एकेडमी का लक्ष्य है. उम्मीद है कि केंद्र और राज्य सरकार की ओर से भी हमें इसमें मदद मिलेगी.
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