Jharkhand: किन्नरों ने दिखाया समाज को आईना, कहा- 'हम हिंदू-मुस्लिम के नाम पर नहीं लड़ते'
Ranchi News: हाजी सोनमनी शेख ने बताया कि उनके साथ कमरे में जो किन्नर रहती हैं, वो हिंदू धर्म को मानती हैं और मैं नमाजी हूं, ना उसे मेरे तरीके से एतराज है और ना मुझे उसके धर्म पर कोई आपत्ति है.
Jharkhand Transgender National Conference: समाज के लोग हिंदू-मुस्लिम, धर्म-मजहब, जाति-पाति के नाम पर झगड़े-फसाद बंद करें. हर व्यक्ति एक-दूसरे के रीति-रिवाज और विश्वास का उसी तरह सम्मान करे, जैसे हम किन्नर समाज (Transgender Society) के लोग करते हैं. हम किन्नरों में सभी अलग-अलग धर्म-मजहब के मानने वाले हैं. एक छत के नीचे, एक कमरे में रहने वाले हिंदू-मुस्लिम किन्नर में कोई पूजा करता है तो कोई नमाज (Namaz) पढ़ता है. हम इन बातों पर कभी झगड़ते नहीं. पूरा समाज ऐसा ही करे तो ये दुनिया सुंदर हो जाएगी. ये बातें राष्ट्रीय किन्नर समाज के ईस्टर्न जोन की हेड हाजी सोनमनी शेख (Haji Sonmani Sheikh) ने मीडिया कर्मियों से कही हैं. वो झारखंड (Jharjhand) के साहिबगंज में आयोजित किन्नरों के राष्ट्रीय सम्मेलन में शिरकत करने पहुंची थीं. यहां के जिला परिषद मॉल स्थित सभागार में किन्नर समाज के 2 दिवसीय सम्मेलन का समापन शुक्रवार को हुआ. करीब 10 राज्यों से जुटे तकरीबन 500 किन्नरों ने सम्मेलन में देश-समाज की मौजूदा स्थितियों और अपने समाज की समस्याओं पर खुलकर चर्चा की.
कभी नहीं हुआ विवाद
2017 और 2018 में लगातार 2 बार हज कर चुकी हाजी सोनमनी शेख ने खुद के बारे में बताया कि उनके साथ कमरे में जो किन्नर रहती हैं, वो हिंदू धर्म को मानती हैं और हर रोज पूजा-पाठ करती हैं. मैं खुद हाजी और नमाजी हूं, ना उसे मेरे तरीके से एतराज है और ना मुझे उसके धर्म पर कोई आपत्ति है. अल्लाह-ईश्वर को लेकर हम दोनों के बीच कभी कोई विवाद नहीं हुआ.
'हम अपने बुजुर्गों का रखते हैं ख्याल'
पीएचडी करके डॉक्टरेट की डिग्री हासिल करने वाली पश्चिम बंगाल की अपर्णा चक्रवर्ती भी मीडिया से रूबरू हुईं. उन्होंने कहा कि मैं आपके जरिए समाज से पूछना चाहती हूं कि आप सुखी-संपन्न होकर भी अपने घर के बुजुर्गों को ओल्ड एज होम क्यों भेज देते हैं? जिन्होंने बच्चों के भविष्य के लिए अपना सबकुछ झोंक दिया, उन्हें वही बच्चे बड़े होकर घर से बेदखल क्यों कर देते हैं? हमारे किन्नर समाज में तो सब अलग-अलग माता-पिता की संतान हैं, लेकिन फिर भी हम अपने बुजुर्गों का पूरा खयाल रखते हैं, उन्हें अकेले मरने के लिए कभी नहीं छोड़ते. उन्होंने बताया कि हमारे समाज में भी शिक्षा को अब विशेष महत्व दिया जा रहा है. जो पढ़ना चाहते हैं, उसका खर्च डेरा की सभी किन्नर मिलकर उठाती हैं.
सीएम सोरेन से की ये मांग
सम्मेलन में लगभग दर्जन भर प्रस्ताव पारित किए गए. एक प्रस्ताव में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में किन्नरों को थर्ड जेंडर का अधिकार दिया है, इसके बाद से उन्हें सामान्य नागरिक का दर्जा मिल गया है. कई राज्यों में किन्नरों के उत्थान के लिए कल्याण बोर्ड का गठन हुआ है, लेकिन अभी तक झारखंड राज्य में इसका गठन नहीं हुआ है. हेमंत सोरेन सरकार को इस संबंध में तुरंत निर्णय लेना चाहिए. सम्मेलन में झारखंड, बिहार, बंगाल, यूपी, असम सहित 6 अन्य पूर्वोत्तर राज्यों की किन्नरों ने शिरकत की. जया देवनाथ, गुड्डी राय, कमला, रानी, सलोनी, जीरा सहित कई किन्नरों ने सम्मेलन को संबोधित किया.
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