Jharkhand News: जेवलिन थ्रो की इंटरनेशनल खिलाड़ी जिसने कई मेडल अपने नाम किया आज पैसों की मोहताज हो चुकी है दरअसल कई खिलाड़ियों को भाला फेंक के गुर सिखाने वाली मारिया आज फेफड़े की बीमारी से ग्रसित हैं और उम्र के चौथे पड़ाव पर पहुंच चुकी हैं. आलम ये है कि अब उन्हें बिस्तर से उठने के लिये भी दूसरों का सहारा लेना पड़ रहा है जब तक इस 70 के दशक की खिलाड़ी मारिया का स्वास्थ्य सही रहा वे खेल के मैदान में अपना लोहा मनवाती रहीं, मगर आज उनकी दशा देख आपके भी आंखों में यकीनन आंसू आ जायेंगे.
मारिया इन दिनों रांची के नामकुम इलाके में अपनी बहन के घर में रह रही हैं. आज उनके पास न भोजन के पैसे हैं और न ही दवा का खर्च. हालांकि यह मामला झारखंड सरकार के खेल विभाग के पास आने के बाद सरकार ने गुरुवार के शाम 25 हजार रुपये का चेक उन्हें उपलब्ध कराया है.
जानें कितने मेडल अपने नाम कर चुकी हैं मारिया?
मारिया खेल के मैदान में अपने प्रतिद्वंद्वी को लोहा मनवाने के लिये जानी जाती रही हैं. उन्होंने कई मेडल अपने नाम किया. कहा जाता है कि जब मारिया आठवीं कक्षा में पढ़ाई कर रही थी. तब नेशनल लेवल के जेवलिन मीट में गोल्ड मेडल जीता था. इसके अलावा ऑल इंडिया रूलर समिति से भी गोल्ड मेडल जीता था साथ ही 1975 में मणिपुर में आयोजित नेशनल स्कूल कंपटिशन में गोल्ड मेडल हासिल किया था. 1975-76 में जालंधर में अंतरराष्ट्रीय जैवलिन मीट का आयोजन हुआ तो वहां भी मारिया ने हिस्सा लिया और हमेशा की तरह गोल्ड जीता.
80 के दशक में वह जेवलिन थ्रो की कोच की भूमिका में आ गई. उन्होंने झारखंड के लातेहार जिले के महुआडांड़ स्थित सरकारी ट्रेनिंग सेंटर में मात्र आठ 10,000 के वेतन पर कोच के रूप में सेवाएं दी. मारिया से भाला फेंकने का गुर सीख चुकी खिलाड़ी आज अपना नाम रोशन कर रही हैं.
भोजन जुटाने के लिए नहीं पैसे
उम्र के इस पड़ाव में डॉक्टरों ने उन्हें पौष्टिक आहार लेने की सलाह दी है लेकिन मारिया के लिए दो वक्त का भोजन जुटाना भी मुश्किल है तो भला वह दूध, अंडे जैसे पौष्टिक आहार के लिए पैसे कहां से लाएं हालांकि कई संस्थाओं ने मारिया की मदद करने की घोषणा की है.
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