Jharkhand News: झारखंड के सरायकेला खरसावां (Saraikela) जिला के अखिल झारखंड विस्थापित अधिकार मंच के बैनर तले घोषित जल सत्याग्रह को लेकर चांडिल डैम के आसपास मंगलवार को सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम किया गया. जगह-जगह पर पुलिस के जवानों को तैनात किया गया था. इस दौरान पुलिस प्रशासन के सीनियर अधिकारी भी स्थिति पर नजर बनाए हुए थे. चांडिल डैम जाने वाले दोनों मुख्य राज्य मार्ग की सड़क पर पुलिस के जवान तैनात किया गया था. वहीं डैम के नौका विहार स्थल पर भी दंडाधिकारी के साथ बड़ी संख्या में महिला पुलिस व पुरुष पुलिस के जवानों को तैनात किया गया था. डैम के अंदर किसी को भी जाने नहीं दिया जा रहा था.


'संवैधानिक अधिकार का हनन'


इसके बाद ईचागढ़ प्रखंड पातकुम स्वर्ण नदी घाट में सैकड़ों की तादात में विस्थापितों ने अपनी मांग को लेकर जल सत्याग्रह किया. इनका कार्यक्रम चांडिल डैम में जल सत्याग्रह का था, लेकिन जगह-जगह पर दंडाधिकारियों के साथ-साथ तैनात पुलिस जवानों ने उन्हें ऐसा करने से जब रोक दिया तो वे स्वर्ण नदी में ही जल सत्याग्रह करने लगे. इस दौरान अखिल झारखंड विस्थापित अधिकार मंच के अध्यक्ष राकेश रंजन महतो ने कहा कि, लोकतांत्रिक तरीके से शांतिपूर्ण रूप से आंदोलन नहीं करने देना संवैधानिक अधिकारों का हनन है. उन्होंने कहा कि अपने जायज मांगों के समर्थन में मंच के बैनर तले विस्थापित आंदोलन कर रहे हैं. 


40 साल बाद भी नहीं मिला मुआवजा


उन्होंने आगे कहा कि, चरणबद्ध आंदोलन के क्रम में चांडिल डैम में जल सत्याग्रह करने का कार्यक्रम था, जिसे पुलिस प्रशासन के द्वारा रोका गया. उन्होंने कहा जल सत्याग्रह कोई असंवैधानिक आंदोलन नहीं है. वहीं विस्थापितों का कहना है कि, जिला पुलिस प्रशासन विस्थापितों के आंदोलन में सहयोग करें और उन्हें अपना आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से करने की इजाजत दें. जमीन जायदाद लेने के 40 सालों के बाद तक विस्थापितों को मुआवजा और संपूर्ण पुनर्वास की सुविधा नहीं मिलना अपने आप में अपराध है. सरकार और प्रशासन उसपर कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है.



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