(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Jamshedpur: पद्मश्री छुटनी महतो के जीवन पर बनेगी वेब सीरीज, कभी डायन बताकर किए गए थे बेइंतहा जुल्म
Jamshedpur News: पद्मश्री छुटनी महतो की जीवनी पर वेब सीरीज (Web Series) बनेगी. वेब सीरीज को लेकर छुटनी काफी उत्साहित नजर आईं. उन्होंने इसके लिए फिल्मकार और सगे संबंधियों को शुक्रिया कहा है.
Web Series On The Biography of Padma Shri Chutni Mahto: पद्मश्री छुटनी महतो (Padma Shri Chutni Mahto) की जीवनी पर वेब सीरीज (Web Series) बनेगी साथ ही इसे कई कई भाषाओं में रिलीज भी किया जाएगा. ए विलेज टॉकिज के बैनर तले वेब सीरीज का निर्माण किया जाएगा. इसकी जानकारी देते हुए फिल्म निर्माता प्रसाद प्रणव (Prasad Pranav) ने बताया कि ए विलेज टॉकीज इससे पूर्व 2 फिल्मों का निर्माण कर चुकी है, जो इसी साल रिलीज होंगी. उन्होंने बताया कि पद्मश्री छुटनी महतो की बायोपिक बनाकर उन्हें गर्व होगा. प्रसाद प्रणव ने कहा कि, 'एक फिल्मकार के तौर पर यदि पद्मश्री छुटनी (Chutni Mahto) महतो के संघर्ष को दिखाकर समाज में फैले अंधविश्वास को कम कर सकूं तो ये बड़ी बात होगी.'
झारखंड सरकार भी करेगी सहयोग
प्रसाद प्रणव ने बताया कि वेब सीरीज में साउथ और बॉलीवुड में काम करने वाले झारखंडी कलाकारों के अलावा स्थानीय कलाकारों को भी मौका दिया जाएगा. अगले महीने से कलाकारों की खोज शुरू कर दी जाएगी. फिलहाल, फिल्म के कलाकार तय नहीं किए गए हैं. झारखंड सरकार से फिल्म निर्माण में सहयोग मिलने की बात भी उन्होंने कही है. हालांकि, फिल्म का नाम क्या होगा ये अभी क्लियर नहीं किया गया है. संभव है 'छुटनी अम्मा' के नाम से वेब सीरीज बन सकती है. वहीं, खुद की जीवनी पर वेब सीरीज बनने से छुटनी काफी उत्साहित नजर आईं. उन्होंने इसके लिए फिल्मकार और अपने सगे संबंधियों को शुक्रिया कहा.
12 साल की उम्र में हुआ ब्याह
छुटनी महतो झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले के गम्हरिया के बीरबांस गांव की निवासी हैं. 12 वर्ष की उम्र में उनका ब्याह गम्हरिया थाना के ही महताडीह गांव में धनंजय महतो से हुआ, उन्हें तीन बच्चे हुए. 2 सितंबर 1995 को उसके पड़ोसी भजोहरि की बेटी बीमार हो गई थी. लोगों को शक हुआ कि छुटनी ने ही कोई टोना-टोटका कर दिया है. इसके बाद गांव में पंचायत हुई, जिसमें छुटनी को डायन करार दिया गया. लोगों ने घर में घुसकर उनके साथ हैवानियत करने की कोशिश की. गांव में फिर पंचायत हुई तो उनपर 500 रुपये का जुर्माना लगाया गया. किसी तरह छुटनी ने जुर्माना भरा, लेकिन गांव वालों का गुस्सा कम नहीं हुआ.
गांव से निकाल दिया गया
गांव के लोगों ने ओझा-गुणी को बुलाया, जिसने छुटनी को शौच पिलाने की कोशिश की. ग्रामीणों में अंधविश्वास था कि मानव मल पीने से डायन का असर समाप्त हो जाता है. छुटनी ने जब इसका विरोध किया तो उसके शरीर पर मल फेंक दिया गया. इसके बाद उन्हें बच्चों समेत गांव से निकाल दिया गया. इस दौरान छुटनी तब के विधायक चंपई सोरेन से भी मिलीं, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ, जिसके बाद उन्होंने आदित्यपुर थाना में रिपोर्ट दर्ज करा दी. कुछ लोग गिरफ्तार हुए, लेकिन छूट गए.
आज भी जारी है छुटनी की लड़ाई
छुटनी ससुराल छोड़कर मायके बीरबांस में रहने लगीं. मायके में भी लोग उन्हें देखते ही डायन कहते और घर का दरवाजा बंद लेते. छुटनी ने हिम्मत नहीं हारी और मायके में ही घर बनाकर रहने लगीं. यहीं रहकर छुटनी ने 1995 से डायन प्रथा के खिलाफ लड़ाई शुरू की, जिसमें अब तक 200 से अधिक महिलाओं को प्रताड़ना से बचाकर पुनर्वास कराने में सफल रही हैं. आज भी छुटनी इस कुप्रथा के खिलाफ लड़ाई में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं और बीरबांस में डायन रिहैबिलिटेशन सेंटर चलाती हैं.
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