Jharkhand News: झारखंड के दुमका (Dumka) जिले में कोल ब्लॉक के लिए भले ही कंपनियां एमओयू साइन की हो, लेकिन क्षेत्र में कोल ब्लॉक खोलना उतना आसान नहीं है. क्योंकि अब लोगों द्वारा लगातार किए जा रहे विरोध का सत्ताधारी पार्टी के जेएमएम विधायक नलिन सोरेन ने समर्थन किया. रविवार को जिले के शिकारीपाडा प्रखंड के सरसडंगाल में गांव के प्रधान और रैयतों के साथ बैठक की. साथ ही कोल कंपनी के विरोध में ग्रामीणों का साथ देने का वादा किया.
विधायक नलिन सोरेन ने क्षेत्र में प्रस्तावित कोल ब्लॉक के मुद्दे में लोगों के साथ रहने का आश्वाशन दिया है. उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार ने कंपनी के साथ एएमओयू नहीं किया, बल्कि केंद्र सरकार ने किया है. केंद्र के दवाब में अधिकारियों पर ग्रामसभा का दवाब बना रहे हैं. ताकि इन लोगों की जमीनों पर कोल ब्लॉक खोला जा सके. ऐसे में लोगों की जमीने ही चली जाएंगी तो उनका क्या होगा, उनके भविष्य का क्या होगा? अमड़ापाड़ा में खोले गए कोल माइंस से लोगों का नुकसान हो रहा है. कंपनी के ट्रकों से लोगों की मौत हो रही है.उन्होंने लोगों के साथ नारे लगाये जान देंगे पर जमीन नहीं देंगे.
क्या कहते हैं ग्रामीण?
इधर पार्टी नेता अब्दुल सलाम ने कहा माशान जोड़ डैम के विस्थापन के मुआवाजे का अबतक लोग इंतजार कर रहे है. हमारी सरकार ने जल, जमीन को लेकर हमेशा आंदोलन किया है. ऐसे में हम यहां पर कोल ब्लॉक खोलने की इजाजत नहीं दे सकते हैं. वहीं ग्रामीण रैयतो ने साफ तौर पर इलाके में कोल ब्लॉक खोलने पर विरोध जताया है. ग्रामीणों का कहना है कि जमीन ही हमारी रोजी-रोटी का जरिया है. इस जमीन से हम खेती कर अपने और अपने बच्चों का पालन पोषण करते है. यह जमीन छिन जाएगी तो हमारी आने वाली नस्लें क्या करेंगी. कंपनी का पैसा रहेगा नहीं, नौकरी तब तक रहेगी जबतक कंपनी हमारे यहां कोयला का खनन करेगी. कोयला खत्म होते ही कंपनी भाग जाएगी. नौकरी तो जायेगी ही जमीन से भी हाथ धोना पड़ जायेगा, उसके बाद हमारे भविष्य का क्या होगा?
इन इलाकों में है पत्थर की बड़ी मंडी
बता दें कि दुमका जिले में करीब 11 कोल ब्लॉक प्रस्तावित है. जिसमें शिकारीपाड़ा इलाके में उत्तर प्रदेश विधुत निगम लिमिटेड शहरपुर और जमडूपानी जबकि ईसीएल (ECL) को ब्रह्मणी कोल माइंस सहित तीन कोल ब्लॉक वर्तमान में प्रस्तावित है. इसको लेकर अधिकारी लगातार क्षेत्र में ग्रामीणों को समझाने का प्रयास कर रही है. लेकिन अब 2024 के चुनाव को देखते हुये विधायक ने अपने ही सरकार के अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोल लोगों के समर्थन कर रहे हैं. ताकि लोगों के हो रहे विरोध पर पार्टी की छवि बचाई जा सके.
बता दें कि शिकारीपाड़ा के इन इलाकों मे पत्थरों की बड़ी मंडी है और इन इलाकों से पत्थर चिप्स झारखण्ड, बंगाल और बिहार के अलावा बांग्लादेश तक भेजे जाते है, जो रोजगार का एक बड़ा साधन भी है. इन्हीं इलाकों में कोल कंपनी ने ज्यादातर कोल ब्लॉक् चिन्हित किए हैं. इसके अलावा काठिकुंड और गोपीकान्दर प्रखंड में भी कोल ब्लॉक् चिन्हित किए गए हैं. हालांकि, शिकारीपाड़ा, काठिकुंड और गोपीकान्दर के कुछ इलाके में अवैध कोयला निकालने की खबर मिलती रहती है.