(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
JPSC सिविल सर्विस परीक्षा के रिजल्ट पर विवाद, अब राज्यपाल ने आयोग के सचिव से फिर मांगी रिपोर्ट
Jharkhand News: सिविल सर्विस परीक्षा परिणाम के विवाद में अभ्यर्थियों की तरफ से रिजल्ट पर उठाई गई आपत्तियों को लेकर झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस (Ramesh Bais) ने आयोग के सचिव से जवाब मांगा है.
JPSC Preliminary Exam Result Controversy: झारखंड (Jharkhand) लोक सेवा आयोग की सिविल सर्विस परीक्षा परिणाम के विवाद में हर रोज नई कड़ियां जुड़ रही हैं. अभ्यर्थियों की तरफ से परीक्षा परिणाम पर उठाई गई आपत्तियों को लेकर अब झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस (Ramesh Bais) ने आयोग के सचिव से जवाब मांगा है. इससे पहले बीते 24 नवंबर को राज्यपाल ने आयोग के चेयरमैन अमिताभ चौधरी (Amitabh Choudhary) को राजभवन तलब कर परीक्षा परिणाम में गड़बड़ी के आरोपों पर उनसे जवाब मांगा था. राज्यपाल से मुलाकात के बाद जेपीएससी ने अपनी वेबसाइट पर उम्मीदवारों की आपत्तियों का जवाब दिया था, लेकिन आंदोलित अभ्यर्थियों ने जेपीएससी के जवाबों को नकार दिया और बीते शुक्रवार को राज्यपाल से मुलाकात कर उन्हें कथित गड़बड़ियों को लेकर कई साक्ष्य सौंपे. इसके बाद राज्यपाल ने अभ्यर्थियों की तरफ से उठाई गई आपत्तियों पर एक बार फिर आयोग के सचिव से रिपोर्ट मांगी है.
आपत्तियां ठोस साक्ष्यों पर आधारित हैं
बता दें कि, आयोग ने परीक्षा में पहले सफल घोषित किए गए 57 उम्मीदवारों को अब असफल घोषित कर दिया है. आयोग का कहना है कि इनमें से 49 उम्मीदवारों की ओएमआर शीट नहीं मिल रही है. इसके अलावा 8 उम्मीदवारों को अन्य कारणों से असफल घोषित किया गया है. आंदोलित अभ्यर्थियों का कहना है कि आयोग परीक्षा में गड़बड़ियों की बात को शुरू से नकार रहा था, लेकिन 57 उम्मीदवारों के पहले पास और उसके बाद फेल करार देने से ये साफ हो गया है कि परीक्षा के आयोजन से लेकर रिजल्ट तक में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां हुई हैं. इधर, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने आंदोलित अभ्यर्थियों का समर्थन करते हुए कहा है कि रिजल्ट पर उठाई गई आपत्तियां ठोस साक्ष्यों पर आधारित हैं. उन्होंने गड़बड़ियों के लिए सीधे आयोग के अध्यक्ष अमिताभ चौधरी को जिम्मेदार ठहराते हुए उन्हें बर्खास्त करने की मांग की है.
रिजल्ट आने के बाद शुरू हुआ विवाद
बता दें कि, जेपीएससी ने 7वीं से 10वीं सिविल सेवा के लिए संयुक्त रूप से अक्टूबर में प्रारंभिक परीक्षा आयोजित की थी. विगत एक नवंबर को इसका रिजल्ट घोषित किया गया. रिजल्ट आने के साथ ही इसपर विवाद शुरू हो गया था. सबसे बड़ा विवाद लगातार क्रमांक वाले 3 दर्जन से भी ज्यादा अभ्यर्थियों के उत्तीर्ण होने से खड़ा हुआ. लोहरदगा, साहिबगंज और लातेहार के कुछ परीक्षा केंद्रों पर एक कमरे में परीक्षा देने वाले लगातार क्रमांक वाले अभ्यर्थियों को उत्तीर्ण घोषित किया गया था. आपत्ति इस बात पर उठी कि क्या एक साथ इतने मेधावी छात्र एक ही कमरे में परीक्षा दे रहे थे? अभ्यर्थियों ने सरकार की आरक्षण नीति का सही तरीके से अनुपालन नहीं किए जाने और अपेक्षाकृत कम अंक लाने वाले परीक्षार्थियों को उत्तीर्ण घोषित करने जैसे गंभीर आरोप लगाते हुए राज्यपाल को साक्ष्य सौंपे हैं.
लगातार विवादों से रहा है नाता
गौरतलब, है कि झारखंड लोक सेवा आयोग अपनी स्थापना के प्रारंभिक काल से ही लगातार विवादों में रहा है. स्थापना के 20 सालों के दौरान आयोग सिविल सेवा की केवल 6 परीक्षाएं ले पाया और इन सभी के रिजल्ट पर विवाद रहा है. 2 सिविल सेवा परीक्षाओं में गड़बड़ियों की तो सीबीआई जांच भी चल रही है.
ये भी पढ़ें: