Jharkhand News: झारखंड के आदिवासी समुदाय के लोगों ने सोमवार (25 सितंबर) को पारंपरिक उत्साह के साथ करम पर्व मनाया, जिसे करमा त्योहार भी कहा जाता है. सरहुल के बाद सबसे बड़े त्योहारों में से एक, करम के इस अवसर पर आदिवासी करम पेड़ की पूजा करते हैं और प्रकृति मां से प्रार्थना करते हैं कि खरीफ सीजन के बाद समृद्ध फसल सुनिश्चित हो. इसके अलावा बहनें इस अवसर पर अपने भाइयों की सलामती के लिए प्रार्थना करती हैं.
राज्यपाल सी पी राधाकृष्णन ने दी बधाई
झारखंड के राज्यपाल सी पी राधाकृष्णन ने रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग द्वारा आयोजित करम महोत्सव में भाग लिया.इस दौरान राज्यपाल ने कहा कि, करम, जिसे करमा उत्सव के नाम से भी जाना जाता है, देश की समृद्ध सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को दर्शाता है. राधाकृष्णन ने कहा कि यह त्योहार प्रकृति और मानव के बीच गहरे और अटूट रिश्ते को दर्शाता है.
उन्होंने कहा, ‘हमारे आदिवासी भाई-बहन प्रकृति के सच्चे संरक्षक हैं. वे प्रकृति का आदर और सम्मान करते हैं तथा दुनिया को उसकी सुरक्षा का संदेश देते हैं.’ उन्होंने कहा कि आज पूरा विश्व 'ग्लोबल वार्मिंग' के कारण विभिन्न पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना कर रहा है और ऐसे में करमा पूजा पूरे विश्व के लिए एक बेहतर उदाहरण है.
सीएम हेमंत सोरेन ने दी शुभकामनाएं
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी करम पर्व पर लोगों को शुभकामनाएं दीं. हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा, ‘करम पर्व हमारी उस समृद्ध संस्कृति का प्रतीक है, जो सदियों से चली आ रही है. प्रकृति के साथ मानव जीवन की एकता तथा भाई-बहन के बीच असीम प्रेम व सम्मान को दर्शाता यह पावन पर्व आप सभी के जीवन में खुशियां लेकर आये. मैं कामना करता हूं कि आप सभी स्वस्थ, प्रसन्न एवं समृद्ध रहें.’
आदिवासी जन परिषद के अध्यक्ष प्रेम साही मुंडा ने कहा कि इस अवसर पर आदिवासी अपने घरों की सफाई करते हैं और उन्हें फूलों और पत्तियों से सजाते हैं तथा शाम को वे करम पेड़ की पूजा करते हैं.
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