Jharkhand Schools Kitchen Garden: झारखंड (Jharkhand) के सरकारी स्कूलों (Government Schools) की खाली पड़ी जमीनों पर अब सब्जियां और फल उगाए जाएंगे. इसकी योजना तैयार कर ली गई है. राज्य सरकार के निर्देश पर विभिन्न जिलों में स्कूलों की खाली जमीन को चिन्हित करने का काम शुरू हो गया है. उपायुक्तों और जिला शिक्षा पदाधिकारियों की योजना को धरातल पर उतारने के लिए आवश्यक कदम उठाने को कहा गया है. योजना का उद्देश्य ये है कि स्कूलों के बच्चों को मिड-डे मील (Mid-Day Meal) में नियमित रूप से सब्जियां और फल मिल सकें. बताया गया कि स्कूलों की खाली जमीन किचन गार्डन (Kitchen Garden) के तौर पर विकसित की जाएगी. इस बात का भी ध्यान रखा जाएगा कि जिस जमीन पर किचन गार्डन विकसित हो, उससे बच्चों के खेल-कूद और प्रार्थना की गतिविधियां प्रभावित ना हों.
फलदार पौधे भी लगाए जाएंगे
किचन गार्डन में मौसमी हरी सब्जियों के साथ-साथ सहजन, केला, अमरूद, पपीता, जामुन आदि के फलदार पौधे भी लगाए जाएंगे. इस काम में मनरेगा और वन विभाग के श्रमिकों की मदद ली जाएगी. ग्राम शिक्षा समितियां इस किचन गार्डेन की देखरेख की व्यवस्था सुनिश्चित कराएंगी.
जानें शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने क्या कहा
राज्य में कुल 28010 प्राथमिक स्कूल और 15970 उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं. अनुमान है कि इनमें से 80 प्रतिशत से ज्यादा विद्यालयों के पास भवन और खेल मैदान के साथ अतिरिक्त जमीन भी है. किचन गार्डन अतिरिक्त जमीन पर ही तैयार किए जाएंगे. अलग-अलग जिलों में उपायुक्तों ने इसे लेकर विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक भी की है. राज्य के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो (Jagarnath Mahto) का कहना है कि हमारी सरकार स्कूलों में पठन-पाठन से लेकर बच्चों के पोषण तक का स्तर सुधारने के लिए निरंतर प्रयासरत है और इस दिशा में योजनाएं बनाकर ठोस कदम उठाए जा रहे हैं. राज्य के कई जिलों में किचन गार्डन को पोषण वाटिका का नाम दिया जा रहा है. यहां वैसी सब्जियां और फल उगाए जाएंगे, जिससे बच्चों का पोषण स्तर बेहतर हो सके.
राज्य में कुपोषण है गंभीर समस्या
गौरतलब है कि, झारखंड में बच्चों के कुपोषण की गंभीर समस्या है. प्रदेश में 40 प्रतिशत बच्चे कुपोषित हैं. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (एनएफएचएस-5) की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में 5 वर्ष से कम आयु वाले 36 लाख 64 हजार बच्चों में से 42 प्रतिशत यानी 15 लाख से अधिक बच्चे कुपोषित हैं तो उसमें भी 9.1 प्रतिशत यानी 3 लाख के करीब बच्चे अति गंभीर रूप से कुपोषण के शिकार हैं. सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, अति गंभीर कुपोषण की वजह से राज्य में बड़ी संख्या में बच्चों का ठीक ढंग से शारीरिक और मानसिक रूप से विकास नहीं हो पा रहा है. राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री जोबा मांझी ने कहा कि स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का पोषण स्तर बेहतर करने के लिए मिड-डे मिल में नियमित रूप से सब्जियां और अंडे देने का प्रावधान किया गया है.
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