Jharkhand Politics: BJP नेता बोले 'समझदार हैं वोटर', खतियान और आरक्षण नीति से नहीं पड़ेगा फर्क
Dhanbad News: झारखंड बीजेपी के प्रदेश प्रभारी लक्ष्मीकांत बाजपेयी (Laxmikant Bajpai) ने कहा है कि, 1932 के खतियान पर स्थानीय और आरक्षण नीति से BJP की चुनावी सफलता पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा.
Laxmikant Bajpai Reaction Over Jharkhand 1932 Khatian: झारखंड (Jharkhand) की हेमंत सोरेन सरकार ने राज्य में डोमिसाइल (Domicile) के लिए नई पॉलिसी के ड्राफ्ट को मंजूरी दे दी है. ये बिल के तौर विधानसभा में पारित कराए जाने और राज्यपाल की मंजूरी के बाद कानून का रूप लेगा. इस पॉलिसी में झारखंड का स्थानीय निवासी (डोमिसाइल) होने के लिए 1932 के खतियान (khatian) की शर्त लगाई गई है. इस पॉलिसी पर पूरे झारखंड में बहस छिड़ी है. इस बीच बीजेपी के प्रदेश प्रभारी लक्ष्मीकांत बाजपेयी (Laxmikant Bajpai) ने कहा है कि, 1932 के खतियान पर स्थानीय और आरक्षण नीति से बीजेपी की चुनावी सफलता पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. लक्ष्मीकांत बाजपेयी 2 दिनों के धनबाद दौरे पर हैं.
'झांसे में नहीं आएंगे वोटर'
धनबाद पहुंचने पर बीजेपी कार्यकर्ताओं ने लक्ष्मीकांत बाजपेयी का जोरदार स्वागत किया. उन्होंने कार्यकर्ता के स्वागत का आभार जताते हुए कहा कि, '' बीजेपी 2024 में होने वाले चुनाव में आसानी से जीत दर्ज करेगी. राज्य की वर्तमान सरकार ने राजनीतिक फायदा लेने के लिए इसे आगे किया है, मगर यहां के वोटर परिपक्व हैं, वो झांसे में नहीं आएंगे.'' उन्होंने कहा कि, ''प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के नेतृत्व में पार्टी एक चुनाव के समाप्त होने के साथ दूसरे चुनावों की तैयारी में लग जाती है, ये दौरा उसी कड़ी का हिस्सा. उन्होंने ये भी कहा कि बीजेपी अतीत से सीख लेकर आगे की रणनीति बनाती है, जनता के हित सर्वोपरि रखती है, इसलिए सफलता मिलती है.
धनबाद में सांसद, विधायक गण, ज़िलाध्यक्ष, ज़िला परिषद सदस्य व अन्य वरिष्ठ कार्यकर्ताओं की उपस्थित में संगठन्मात्क बैठक ली व प्रेस वार्ता को सम्बोधित किया। pic.twitter.com/Z8tpWvBCIb
— Dr. Laxmikant Bajpai (@LKBajpaiBJP) September 22, 2022
झारखंडी होने की शर्त, एक कागज
बता दें कि, झारखंड में झारखंडी कहलाने के लिए अब वर्ष 1932 में हुए भूमि सर्वे के कागजात की जरूरत होगी. इस कागजात को खतियान कहते हैं. जो लोग इस कागजात को पेश करते हुए साबित कर पाएंगे कि इसमें उनके पूर्वजों के नाम हैं, उन्हें ही झारखंडी माना जाएगा. झारखंड का मूल निवासी यानी डोमिसाइल का प्रमाण पत्र इसी कागजात के आधार पर जारी किया जाएगा.
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जिन लोगों के पूर्वज 1932 या उससे पहले से झारखंड की मौजूदा भौगोलिक सीमा में रह रहे थे, लेकिन भूमिहीन होने की वजह से उनका नाम भूमि सर्वे के कागजात (खतियान) में नहीं दर्ज हुआ है, उनके झारखंडी होने की पहचान ग्राम सभाएं उनकी भाषा, रहन-सहन, व्यवहार के आधार पर करेंगी. ग्राम सभा की सिफारिश पर उन्हें झारखंड के डोमिसाइल का सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा. झारखंड की मौजूदा भौगोलिक सीमा में जो लोग 1932 के बाद आकर बसे हैं, उन्हें या उनकी संतानों को झारखंड का डोमिसाइल यानी मूल निवासी नहीं माना जाएगा. ऐसे लोग जिनका जन्म 1932 के बाद झारखंड में हुआ, पढ़ाई-लिखाई भी यहीं हुई, जिन्होंने इसके बाद यहां जमीन खरीदी या मकान बनाए, उन्हें भी झारखंडी नहीं माना जाएगा, यानी उनका डोमिसाइल सर्टिफिकेट नहीं बनेगा.
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