(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Jharkhand Politics: CM सोरेन की कुर्सी पर संकट के बीच कांग्रेस का बड़ा बयान, वरिष्ठ नेता ने कही ये बात
Ranchi News: झारखंड में सियासी गहमागहमी चरम पर है. सीएम हेमंत सोरेन (Hemant Soren) की कुर्सी पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. इस बीच कांग्रेस नेता ने बड़ी बात कही है.
Congress Reaction Over CM Hemant Soren Disqualification: झारखंड (Jharkhand) के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) की कुर्सी पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सदस्यता को लेकर निर्वाचन आयोग (Election Commission) ने अपनी रिपोर्ट राज्यपाल को सौंप दी है. इस बीच कांग्रेस वरिष्ठ नेता और झारखंड प्रभारी अविनाश पांडे (Avinash Pande) ने कहा कि, ''झारखंड सीएम की विधानसभा सदस्य्ता को लेकर काफी गहमा गहमी है. मैं कांग्रेस पार्टी के साथ के प्रभारी की हैसियत से कह रहा हूं चुनाव आयोग का जो भी निर्णय होगा हम उसका स्वागत करेंगे.'' झारखंड सीएम हेमंत सोरेन ने भी बीजेपी पर सरकारी संस्थाओं के घोर दुरुपयोग का आरोप लगाया है.
'अड़चन पैदा कर रही है बीजेपी'
अविनाश पांडे ने कहा कि, ''यह भी बात किसी से छिपी नहीं है कि जिस दिन से झारखंड में महागठबंधन की सरकार बनी है तब से भारतीय जनता पार्टी हर तरीके के मापदंड अपनाकर वहां की सरकार को कमजोर करने का प्रयास कर रही है. चाहे फिर वो संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग क्यों ना हो, ईडी सीबीआई व अन्य सभी एजेंसी के माध्यम से एक जैसी परेशानी उत्पन्न करके जितने भी विकास कार्य हैं उस में अड़चन ला रही है.''
ECI का जो भी निर्णय होगा वो स्वीकारीय होगा। भाजपा द्वारा निरंतर, झारखंड सरकार को गिराने के उद्देश्य से अपनाये जा रहे हथकंडों की मैं कड़ी निंदा करता हूँ। #Jharkhand pic.twitter.com/yyQmfzUK9b
— Avinash Pande (@avinashpandeinc) August 25, 2022
बीजेपी ने लगाया आरोप
गौरतलब है कि, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सदस्यता का मामला खनन का पट्टा और शेल कंपनियों में उनकी हिस्सेदारी से जुड़ा है. बीजेपी के नेताओं ने 11 फरवरी को सोरेन के खिलाफ राज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपा था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि सीएम पद पर रहते हुए सोरेन ने अपने नाम खदान आवंटित की थी. इसके साथ ही, इस ज्ञापन में सोरेन परिवार पर छद्म कंपनी में निवेश कर संपत्ति अर्जित करने का भी आरोप लगाया गया है. बीजेपी की ओर से लगाए गए इन आरोपों के बाद राज्यपाल ने निर्वाचन आयोग को जांच करने की जिम्मेदारी सौंपी थी.
रज्यपाल का होगा अंतिम फैसला
हालांकि, राज्यपाल की ओर से अधिसूचना जारी होने के बाद ही ये स्पष्ट होगा कि उनकी सदस्यता रद्द की गई है या नहीं, क्योंकि संविधान के अनुच्छेद 192 के तहत किसी सदस्य को अयोग्य ठहराने के मामले में अंतिम फैसला राज्यपाल करते हैं.
ये भी पढ़ें: