Naxalite Prashant Bose: जानें- कौन है एक करोड़ का इनामी नक्सली कमांडर प्रशांत बोस, पुलिस को 4 दशकों से थी तलाश
Jharkhand Naxalite: प्रशांत बोस झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, समेत कई राज्यो में 200 से भी ज्यादा नक्सली वारदातों का मास्टरमाइंड माना जाता रहा है. उसकी उम्र 80 वर्ष से ज्यादा है.
Jharkhand Naxalite Commander Prashant Bose Arrested: एक करोड़ का इनामी नक्सली कमांडर प्रशांत बोस (Prashant Bose) और उसकी पत्नी शीला मरांडी (Sheela Marandi) पुलिस की गिरफ्त में हैं. दोनों को शुक्रवार दोपहर जमशेदपुर (Jamshedpur) के पास कांड्रा टोल ब्रिज पर एक गाड़ी में पकड़ा गया था. इनके अलावा पुलिस 5 अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया है. प्रशांत बोस भाकपा माओवादी नक्सली संगठन के पोलित ब्यूरो का सदस्य और उनके ईस्टर्न रीजनल ब्यूरो का सचिव है. नक्सली संगठन में उसे किशन दा उर्फ मनीष उर्फ बूढ़ा के नाम से भी जाना जाता है.
झारखंड में दर्ज हैं करीब 50 मामले
पुलिस प्रशांत बोस को बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश और महाराष्ट्र में नक्सली संगठन के ऑपरेशन का मास्टरमाइंड मानती है. प्रशांत बोस माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर ऑफ इंडिया (Maoist Communist Centre of India) का संस्थापक सदस्य हैं, जिसका सीपीआई (माओवादी) बनाने के लिए पीपुल्स वार ग्रुप में विलय हो गया था. प्रशांत बोस के खिलाफ झारखंड में करीब 50 मामले दर्ज हैं और उस पर एक करोड़ रुपये का इनाम घोषित था. प्रशांत बोस के पास से डेढ़ लाख रुपये और एक पेन ड्राइव भी बरामद की गई है. पेन ड्राइव में नक्सली संगठनों के बारे में कई महत्वपूर्ण सूचनाएं हैं.
यहां से मिला इनपुट
हाल ही में सीपीआई माओवादी संगठन के हार्डकोर नक्सलियों (Naxalite) बैलून सरदार (Balloon Sardar) और सूरज सरदार (Suraj Sardar) ने रांची (Ranchi) में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण (Surrender) कर दिया था. नक्सली संगठन में तीनों का ओहदा एरिया कमांडर (Area Commanders) का था. ये सभी माओवादियों की केंद्रीय कमेटी सदस्य एक करोड़ के इनामी अनल दा उर्फ पतिराम मांझी दस्ते में शामिल थे. माना जा रहा है कि इन्हीं से मिली जानकारी के बाद पुलिस प्रशांत बोस तक पहुंच सकी.
कई राज्यों की पुलिस के लिए वांटेड था प्रशांत बोस
प्रशांत बोस पिछले 4 दशकों से कई राज्यों की पुलिस के लिए वांटेड था. बताया जाता है कि पुलिस और आईबी की टीम को सूचना मिली थी कि प्रशांत बोस अपने इलाज के लिए सरायकेला-चांडिल आने वाला है. सूचना के आधार पर घेराबंदी की गई और उसे कांड्रा टोल ब्रिज के पास एक गाड़ी में पकड़ लिया गया. बोस की पत्नी शीला मरांडी भी उसके साथ थी. वो भी कई नक्सली वारदातों में वांछित रही है.
जंगलों और पहाड़ियों में लेता रहा है पनाह
प्रशांत बोस झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश एवं महाराष्ट्र में 200 से भी ज्यादा नक्सली वारदातों का मास्टरमाइंड माना जाता रहा है. उसकी उम्र 80 वर्ष से ज्यादा है, लेकिन नक्सली संगठन का थिंक टैंक होने के कारण उसकी संगठन में बड़ी अहमियत रही है. प्रशांत बोस मुख्य तौर पर झारखंड के जंगलों और पहाड़ियों में ही पनाह लेता रहा है. पुलिस को कभी पारसनाथ की पहाड़ियों, कभी हजारीबाग-बोकारो के झुमरा, कभी सारंडा तो कभी बूढ़ा पहाड़ पर मौजूद होने की सूचना मिलती थी, लेकिन वो इतना शातिर है कि हर बार पुलिस की घेराबंदी से बाहर निकलने में कामयाब रहा था. सारंडा के जंगलों में कोबरा बटालियन के साथ कई बार उसकी मुठभेड़ हो चुकी थी, लेकिन वह हर बार बच निकला था. प्रशांत बोस मूलरूप से पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिले का रहने वाला है. उसने झारखंड के टुंडी प्रखंड की नावाटांड़ निवासी आदिवासी महिला शीला से विवाह किया था.
1974 में किया गया था गिरफ्तार
पुलिस सूत्रों के मुताबिक 1960 के दशक की शुरुआत में प्रशांत बोस नक्सलियों से जुड़े एक श्रमिक संगठन में शामिल हो गया था. जिसके बाद उसे 1974 में गिरफ्तार किया गया था और 1978 में उसे रिहा किया गया था. रिहाई के बाद प्रशांत बोस ने कनई चटर्जी के साथ मिलकर एमसीसीआई की स्थापना की. इसके बाद, बोस ने गिरिडीह, धनबाद, बोकारो और हजारीबाग में जमींदारों के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शनों को संगठित करना शुरू कर दिया. उसने 2000 के आसपास स्थानीय संथाल नेताओं के साथ काम किया और पलामू, चतरा, गुमला और लोहरदगा में नक्सल संगठन को मजबूत किया.
पुलिस को मिल सकते हैं अहम सुराग
2004 में भाकपा (माओवादी) की स्थापना के बाद से प्रशांत बोस इसकी केंद्रीय समिति, केंद्रीय सैन्य आयोग का सदस्य और पूर्वी क्षेत्रीय ब्यूरो का प्रभारी रहा. बोस दक्षिण छोटानागपुर इलाके में काम करता था और सारंडा के जंगल में रहता था. उसने झारखंड, बिहार, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में माओवादी संगठन को मजबूत करने का काम भी किया. पुलिस के अनुसार, बोस कई माओवादी गतिविधियों में शामिल था, जिसमें 2007 में झारखंड मुक्ति मोर्चा के तत्कालीन महासचिव और जमशेदपुर से पार्टी के मौजूदा सांसद सुनील महतो की हत्या शामिल है. माना जा रहा है कि प्रशांत बोस की गिरफ्तारी से पुलिस को नक्सली संगठन की कार्यप्रणाली, उनके ऑपरेशन, हथियारों के जखीरे और आगे की योजनाओं के बारे में अहम सुराग हाथ लग सकते हैं.
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