Jharkhand News: झारखंड में भाषा विवाद गहराया, विवादित टिप्पणी को लेकर प्रदर्शनकारियों ने की शिक्षा मंत्री से इस्तीफे की मांग
झारखंड सरकार ने जिला स्तर पर हो रही भर्ती में भोजपुरी, मगही, मैथिली और अंगिका भाषा के शामिल करने से विवाद शुरू हो गया है. जबकि शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो की टिप्पणी ने लोगों में असंतोष पैदा कर दिया है.
Ranchi: झारखंड (Jharkhand) में भाषा विवाद के बीच, राज्य के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के इस्तीफे की मांग बढ़ती जा रही है. शिक्षा मंत्री के इस्तीफे की मांग करते हुए रविवार को रांची में मगही, भोजपुरी और अंगिका भाषा समुदायों के लोगों ने जमकर प्रदर्शन किया. वहीं अखिल भारतीय भोजपुरी, मगही, मैथिलि, अंगिका मंच (AIBMMAM) ने महतो की हालिया की गई टिप्पणी की कड़ी निंदा की है, जहां उन्होंने कथित तौर पर बिहार के लोगों को घुसपैठिया बताया था और नैतिक आधार पर उनका तत्काल इस्तीफ़ा मांगा.
झारखंड सरकार ने तीन भाषाओँ को नौकरी में किया है अधिसूचित (Notified), इसी को लेकर शुरू हुआ है विरोध
राज्य सरकार के जरिये हाल ही में जिले स्तर की भर्तीयों के लिए भोजपुरी, अंगिका और मैथिली को क्षेत्रीय भाषाओँ के रूप में अधिसूचित (Notified) किया है. इसके बाद धनबाद और बोकारो में, इसको लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है. प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए दावा किया है कि, इन तीन भाषाओँ को खोरता भाषा (Khorta) से बदल दिया गया है, जो इस इलाके की मुख्य है.
झारखंड के दो तिहाई हिस्से में लगभग 60 फीसदी लोग भोजपुरी, मगही, मैथिलि और अंगिका भाषा बोलते हैं. AIBMMAM के अध्यक्ष कैलाश यादव ने कहा कि, "अधिवास (Domicile) के नाम पर आबादी के एक हिस्से को जिस तरह से टारगेट (Target) किया जारहा है, हम उन प्रयासों की कड़ी निंदा करते हैं.
शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के बयान से खड़ा हुआ है विवाद
जगरनाथ महतो के उस बयान से राज्य में विवाद खड़ा हो गया, जिसमें उन्हों ने बिहार के लोगों पर कथित तौर पर विवादित टिप्पणी की थी. वहीं कैलाश यादव ने उनके इस बयां के बाद कहा, "हम बुद्धजीवियों और सामाजिक संगठनों के साथ एक मीटिंग करेंगे और महतों के खिलाफ राज्यव्यापी प्रदर्शन करेंगे. हालिया सरकार भाषा के नाम पर राज्य में अशांति पैदा कर रही है."
4 फरवरी को आदिवासी छात्र संघ ने रांची में सोरेन के पुतला फूंका, उन्हों ने मांग की कि भोजपुरी, मगही, मैथिली और अंगिका को क्षेत्रीय भाषाओँ की सूची से हटा दिया जाये. वही झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) और कांग्रेस ने आधिकारिक तौर पर इस संबंध में अपना रुख साफ़ नहीं किया है. वही JMM के पूर्व विधायक अमित महतो ने धमकी देते हुए मांग की है, अगर सरकार ने 1932 लैंड रिकॉर्ड के आधार नई अधिवास (Domicile) नीति नहीं लागू की, तो वह पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे देंगे. टाइम्स ऑफ़ इंडिया में छपी के खबर के मुताबिक, कांग्रेस के एक सीनियर नेता ने कहा कि पार्टी फिलहाल वेट एंड वाच मोड में है.
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