Jharkhand News: बोरिंग में पानी के साथ अचानक आग निकलने की घटनाओं से परेशान हैं लोग
Jharkhand Gas Leak: झारखंड के रामगढ़ और हजारीबाग (Hazaribagh) में मिथेन गैस (Methane Gas) के रिसाव की वजह से लोगों में दहशत का माहौल है. गैस रिसाव की वजह से खेती भी प्रभावित हुई है.
Jharkhand Ramgarh And Hazaribagh Methane Gas Leak: झारखंड (Jharkhand) के रामगढ़ (Ramgarh) और हजारीबाग (Hazaribagh) जिले में कुछ जगहों पर जमीन के नीचे से मिथेन गैस के रिसाव (Methane Gas Leak) ने लोगों में दहशत पैदा कर दी है. डीप बोरिंग वाली जगहों पर रिसाव सबसे ज्यादा है. रामगढ़ जिले के मांडू प्रखंड अंतर्गत लइयो उत्तरी और लइयो दक्षिणी पंचायत इससे सबसे ज्यादा प्रभावित है. इस इलाके में लगभग 10 हजार की आबादी है और लोग अनहोनी की आशंका से ग्रस्त हैं. इससे पहले हजारीबाग जिले के बड़कागांव प्रखंड अंतर्गत हरली में भी मिथेन के रिसाव की शिकायतें मिली थीं.
मिला था मिथेन का बड़ा भंडार
मिथेन गैस के रिसाव को लेकर आईएएनएस ने खनन विशेषज्ञ सीएमपीडीआई सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट के रिटायर्ड जीएम एवी सहाय से इस बारे में बात की. उनका कहना है कि जिस इलाके में रिसाव की सूचनाएं मिली हैं, वहां पूर्व में हुए सर्वे में कोल बेड मिथेन का बड़ा भंडार पाए जाने की पुष्टि हुई है. गैस के रिसाव को रोकने के लिए विशेषज्ञ संस्थाओं की निगरानी में तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए. झारखंड के बोकारो स्थित ओएनजीसी के सीबीएम (कोल बेड मिथेन) कार्यालय और सीएमपीडीआई को इस बाबत सूचित किया जाना चाहिए. इन संस्थाओं के पास मिथेन गैस के रिसाव को रोकने की विशेषज्ञता है.
पक्षियों की हुई मौत
लईयो उत्तरी पंचायत के मुखिया सुरेश महतो उर्फ मदन महतो ने बताया कि सीसीएल के झारखंड माइनिंग प्रोजेक्ट के करीब स्थित लइयो करमाली टोला में एक बोरिंग से लगभग 15-20 फीट की ऊंचाई तक पानी के फव्वारे के साथ निकल रही मिथेन गैस बीते शनिवार को अचानक आग की लपटों में बदल गई. बाद में आग खुद बुझ गई, लेकिन इस स्थान के आस-पास एक दर्जन से ज्यादा कौओं और बगुलों की मौत हो गई. यहां मिथेन का रिसाव बीते कई दिनों से हो रहा है. इसकी सूचना सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल) प्रबंधन को दी गई है.
खेती नहीं कर पा रहे हैं लोग
लईयो उत्तरी पंचायत के मुंडल टोगरी और कोठीटांड़ में भी ग्रामीणों ने डीप बोरिंग से मिथेन गैस के रिसाव की शिकायत की है. इसकी वजह से एक बड़े क्षेत्र में ग्रामीण खेती नहीं कर पा रहे हैं. गैस के प्रभाव वाले इलाके में मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी प्रभावित हो रही है. ग्रामीण जीवलाल महतो, नेपाल रजवार, शिबू ठाकुर सहित तमाम लोगों ने बताया कि कोठीटांड़ और मुंडल टोंगरी में बोरिंग से 8 से 10 फीट पानी ऊपर की ओर निकल रहा है. इन स्थानों पर गैस रिसाव के कारण काफी तेज आवाजें भी निकल रही हैं.
इस इलाके में पहली बार हुई हैं ऐसी घटनाएं
मिथेन रिसाव की ऐसी घटनाएं इलाके में पहली भी हुई हैं. वेस्ट बोकारो ओपी क्षेत्र अंतर्गत लइयो दुधीबांध बस्ती निवासी भोला रजवार के घर में लगभग एक साल पहले बोरिंग से अचानक मिथेन गैस निकलने लगी थी. इस कारण अचानक आग भी लग गई थी. लगातार पानी डालते रहने के बाद आग बुझी थी. दुधीबांध नव प्राथमिक विद्यालय के चापानल और करमाली टोला के एक खेत से मिथेन गैस का रिसाव काफी मात्रा में हुआ था, तब सीसीएल से आई रेस्क्यू की टीम ने फॉगिंग कर उसे बंद कराया था. उधर, बड़कागांव के हरली में भी पिछले साल मिथेन के रिसाव के चलते पानी से आग की लपटें उठने लगी थीं.
सरकार को भी कदम उठाने चाहिए
सीएमपीडीआई के रिटायर्ड जीएम और खनन विशेषज्ञ एवी सहाय बताते हैं कि वेस्ट बोकारो कोलियरी एरिया और सीसीएल के नॉर्थ कर्णपुरा के इस्टर्न पार्ट में कोल बेड मिथेन का बड़ा भंडार है. कई इलाकों में ओएनजीसी ने मिथैन के कमर्शियल दोहन का प्रोजेक्ट शुरू भी किया है. ऐसे इलाकों में अगर कोई व्यक्ति डीप बोरिंग करता है, तो उसके पहले विशेषज्ञों से मशविरा जरूर किया जाना चाहिए. मिथेन में कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में 24 गुना ग्लोबल वॉर्मिंग पोटेंशियल होता है. सरकार को भी ऐसे इलाकों में बोरिंग के लिए सतर्कता और एहतियात के जरूरी कदम उठाने चाहिए, अन्यथा मिथेन के अचानक रिसाव से समस्या पैदा हो सकती है. माइनिंग विशेषज्ञ डॉ अनल सिन्हा ने आईएएनएस से कहा कि झारखंड के कोल बियरिंग इलाके में मिथेन का बड़ा भंडार है. इन पर सक्षम संस्थाओं को आवश्यक निगरानी रखनी चाहिए.
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