Hockey in Jharkhand Simdega: झारखंड (Jharkhand) के पिछड़े सिमडेगा (Simdega) जिले के जिन गांवों में आज तक सड़क और बिजली नहीं पहुंची है, वहां लोगों के रग-रग में हॉकी का जुनून किस तरह दौड़ता है, इसकी एक और मिसाल सामने आई है. सिमडेगा जिला मुख्यालय से लगभग 60 किलोमीटर दूर जंगलों-पहाड़ों से घिरे केरसई ब्लॉक के रुंघुडेरा गांव (Runghudera Village) में कुछ समय पहले तक बंदूकें गरजती थीं, लेकिन 2022 की पहली तारीख को यहां हॉकी के जरिए बदलाव की एक नई शुरूआत हुई है.
हॉकी के लिए दी जमीन
गांव के आकाश मांझी (Akash Manjhi) ने हॉकी ग्राउंड के लिए अपनी जमीन दी है. हॉकी सिमडेगा के प्रमुख मनोज कोनबेगी (Manoj Konbegi) और आकाश मांझी ने गांव के लोगों के साथ बैठक की. तय हुआ कि गांव और आसपास के बच्चों-युवाओं को हॉकी के लिए तैयार किया जाए. फिर क्या था, शनिवार और रविवार को ग्रामीण कुदाल, फावड़ा, कुल्हाड़ी और टोकरी लेकर इकट्ठा हुए और जंगल-झाड़ को साफ कर मैदान में तब्दील कर दिया.
दी जाएगी ट्रेनिंग
गांव में जब हॉकी का मैदान बनकर तैयार हुआ तो यहां के बच्चों और युवाओं का उत्साह देखते बन रहा था. हॉकी सिमडेगा के प्रमुख मनोज कोनबेगी बताते हैं कि बच्चों-युवाओं को हॉकी के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा और एक से डेढ़ महीने के अंदर आसपास के गांवों के बच्चों के बीच हॉकी टूर्नामेंट का आयोजन कराया जाएगा. इसमें जो बेहतर खिलाड़ी निकलेंगे, उन्हें आगे डिस्ट्रिक्ट लेवल पर खेलने का मौका दिलाने का प्रयास होगा. सिमडेगा जिले ने देश को अब तक देश को 50 से भी ज्यादा राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी दिए हैं.
ये है गांव का हाल
रुंघुडेरा गांव में आज तक ना तो बिजली पहुंची है और ना ही सड़क, मोबाइल का नेटवर्क भी नहीं है. पक्की सड़क से उतरने के बाद लगभग 6-7 किलीमीटर पथरीले रास्ते पर चलने के बाद लोग गांव पहुंचते हैं. 50 आदिवासी परिवारों वाले इस गांव की जनसंख्या लगभग 250 है. पेयजल के लिए गांव के लोग कच्चे कुओं और तालाबों पर निर्भर हैं. जंगलों से घिरे इस गांव में हाथियों का भी आतंक है. सिमडेगा में कुछ साल पहले तक जब उग्रवादी संगठनों की धमक गांव-गांव में थी, तब यहां उग्रवादियों के हथियारबंद दस्ते पनाह लेते थे. गांव में एक स्कूल है, लेकिन वहां पहुंचने के लिए भी बच्चों को जोखिम उठाना पड़ता है.
लंबी है फेहरिस्त
सिमडेगा के खेतों-गांव में खेलकर देश-विदेश में सैकड़ों टूर्नामेंट्स में जौहर दिखाने वाले खिलाड़ियों की एक बड़ी फेहरिस्त है. सिमडेगा के जिस हॉकी खिलाड़ी को इंडियन नेशनल टीम में सबसे पहले जगह मिली थी, वो थे सेवईं खूंटीटोली निवासी नॉवेल टोप्पो. वो 1966-67 में देश के लिए खेले. इसके बाद 1972 में ओलंपिक खेलने वाली भारतीय पुरुष टीम में यहां के माइकल किंडो शामिल रहे.
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