Jharkhand: खनन पट्टा आवंटन और फर्जी कंपनी मामले में अब 8 जुलाई को सुनवाई, जानें क्या है पूरा मामला
Ranchi News: खनन पट्टा आवंटित करने एवं फर्जी कंपनियों के माध्यम से करोड़ों रुपये की हेराफेरी के मामले में 8 जुलाई को सुनवाई होगी. मामले में सीएम हेमंत सोरेन और करीबियों पर आरोप लगे हैं.
Jharkhand Lease Allotment And Shell Company Case: झारखंड (Jharkhand) के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) और उनकी पत्नी के साथ-साथ करीबियों के नाम खनन पट्टा आवंटित करने एवं फर्जी कंपनियों के माध्यम से करोड़ों रुपये की हेराफेरी के मामले की सुनवाई कर रहे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ के मंगलवार को उपलब्ध ना होने मामले की सुनवाई स्थगित हो गई. अब अगली सुनवाई 8 जुलाई को होगी. इस संबंध में उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार ने नोटिस जारी कर कहा है कि मंगलवार को राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायमूर्ति सुजीत नाराायण प्रसाद की अदालत में सूचीबद्ध फर्जी कंपनी, खनन लीज और मनरेगा घोटाले के मामले की सुनवाई 8 जुलाई को होगी.
न्यायालय को गुमराह किया गया है
प्रार्थी शिवशंकर शर्मा ने 2 याचिकाएं दायर की हैं. उच्च न्यायालय में इन दोनों याचिकाओं में प्रार्थी की ओर से दलील पूरी कर ली गई है. 8 जुलाई को सरकार की ओर से पक्ष रखा जाएगा. इस बीच सरकार ने एक हस्तक्षेप याचिका दायर कर कहा है कि प्रार्थी शिवशंकर शर्मा ने जो भी आरोप लगाए हैं वो गलत और बेबुनियाद हैं. प्रार्थी की ओर से एक भी साक्ष्य नहीं दिया गया है. अधूरी जानकारी देकर उच्च न्यायालय को गुमराह किया गया है. राज्य सरकार की ओर से उच्च न्यायालय में शर्मा के खिलाफ अपराध प्रकिया संहिता की धारा 340 के तहत गलत हलफनामा देकर अदालत को भ्रमित करने के आरोप वाली याचिका दाखिल की गई है.
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इससे पूर्व इस मामले में 30 जून को सुनवाई के दौरान झारखंड उच्च न्यायालय में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एवं उनके परिजनों तथा सहयोगियों के नाम से खनन पट्टा, फर्जी कंपनियों के माध्यम से करोड़ों रुपये धन शोधन समेत तमाम मामलों में बहस प्रारंभ हो गई थी. बहस की शुरूआत में ही याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, उनकी पत्नी कल्पना सोरेन, प्रेस सलाहकार अभिषेक प्रसाद उर्फ पिंटू, हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा, व्यवसाय सहयोगी अमित अग्रवाल और सुरेश नागरे अवैध खनन से पैसे की उगाही कर फर्जी कंपनियों में निवेश करते हैं और उसके जरिए देश के अन्य भागों में संपत्ति खरीदी जाती है.
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