(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Jharkhand News: मालदा में ठेकेदार ने बेड़ियों में जकड़ कर झारखंड के मजदूरों को बनाया बंधक, जानें- कैसे हुए मुक्त
Jharkhand News: दुमका की एक महिला सहित चार मजदूरों को पश्चिम बंगाल के एक ठेकेदार जियाउल हक ने मालदा में बंधक बना लिया था. मंत्री के हस्तक्षेप के बाद सभी को मुक्त कराया गया है.
Jharkhand Workers Hostage in Malda West Bengal: पश्चिम बंगाल (West Bengal) के मालदा में झारखंड (Jharkhand) के दुमका (Dumka) जिले के रहने वाले 4 लोगों को एक ठेकेदार ने बंधक बना लिया था. प्रशासन ने हस्तक्षेप किया, जिसके बाद सभी को बंधन मुक्त कराकर सकुशल वापस लाया गया है. बताया जाता है कि इन लोगों को ठेकेदार ने बेड़ियों से जकड़ कर रखा था. मामले की सूचना कृषि मंत्री बादल पत्रलेख (Badal Patralekh) को लगी तो उन्होंने दुमका पुलिस मामले में उचित कार्रवाई के निर्देश दिए.
बंधकों में एक महिला शामिल
दुमका के जरमुंडी थाना इलाके के बाराताड़, खरसुंडी और जामाबहियार गांव की एक महिला सहित चार लोगों को पश्चिम बंगाल के एक ठेकेदार जियाउल हक ने मालदा जिले के कालियाचक थाना क्षेत्र के बामुनपाड़ा गांव के पास एक जंगल में पेड़ के सहारे बेड़ियों से जकड़ कर बंधक बना लिया था. 7 दिन तक बंधक रहे इन लोगों से 11 लाख रुपये की डिमांड की गई थी. जिसकी खबर रुपये के जुगाड़ में ठेकेदार की तरफ से भेजे गए 2 लोगों ने ग्रामीण स्तर के नेताओं और लोगों को दी.
मंत्री ने गंभीरता से लिया मामला
ग्रामीण स्तर के नेताओं ने इसकी खबर मंत्री बादल पत्रलेख को दी. मंत्री ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जिला प्रशासन को उचित कार्रवाई का निर्देश दिया. जिले के एसपी और डीसी ने मामले पर पाकुड़ के एसपी और डीसी का सहयोग लेते हुए मालदा एसपी को अवगत कराया. मालदा एसपी ने मामले को गंभीर देख गुलाबचक थाना और कालियाचक थाना के संयुक्त प्रयास से सभी चारों को बंधन मुक्त कर ठेकेदार के चुंगल से बाहर निकाला. पाकुड़ डीसी के निर्देश पर मालदा के गुलाबचक थाने की पुलिस ने दुमका पुलिस को इन चारों को सुपुर्द किया.
मजदूरों को आंध्र प्रदेश में बनाया गया था बंधक
बता दें कि, हाल ही में आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) के आइस आइलैंड में बंधक बनाकर रखे गए झारखंड (Jharkhand) के 16 श्रमिकों को मुक्त कराया गया था. इन सभी को एक ठेकेदार अच्छा काम दिलाने का वादा कर आंध्र प्रदेश ले गया था, लेकिन वहां मजदूरी दिए बगैर उनसे 15 से 18 घंटे तक जबरन काम लिया जा रहा था. इसकी जानकारी मिलने पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने राज्य के श्रम विभाग के अधिकारियों को तत्काल कार्रवाई करने का निर्देश दिया था. इसके बाद राज्य के प्रवासी नियंत्रण कक्ष ने आंध्र प्रदेश के अधिकारियों के साथ समन्वय बनाकर सभी श्रमिकों को मुक्त कराया था.
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