Jharkhand News: झारखंड में 9 दिनों की ट्रेंनिंग देकर नाबालिक बच्चों को बनाया जा रहा क्रिमीनल, जानें क्या है मामला?
Ranchi News: बच्चों को भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर ले जाया जाता है और फिर हर बच्चे के पीछे एक रिंग मास्टर होता है और वो ही उन्हें बताता है कि कौन से मोबाइल पर उन्हें हाथ साफ करना है.
Jharkhand News: झारखंड के रांची (Ranchi) में बाल सुधार गृह में हाल के दिनों में कई ऐसे बच्चे आए जो चोरी, छिनैती जैसे छोटे-मोटे अपराध को लेकर बाल सुधार गृह में हैं. अपराध में शामिल बच्चे काउंसलिंग के दौरान यही बताते हैं कि उन्हें घर से पढ़ाने-लिखाने और दुकान में छोटे-मोटे काम की बात कह लाया जाता है, लेकिन बड़े शहरों में पहुंचते ही उन्हें चोरी और छोटे-मोटे अपराध करने के लिए कहा जाता है. जो बच्चे इसका विरोध करते है उन्हें मारा पीटा जाता है और जबरन उनसे अपराध कराया जाता है.
दरअसल, मिली जानकारी के अनुसार इसके लिए बाकायदा 9 दिनों की ट्रेनिंग दी जाती है और उस ट्रेनिंग में जो भी बच्चा गलती करता है उसे काफी प्रताड़ित किया जाता है. वहीं इस मामले की जानकारी देते हुए राज्य नोडल पदाधिकारी सम्प्रेक्षण गृह कर्नल जे के सिंह ने बताया कि, पूछताछ में ये बातें भी सामने आई हैं कि बच्चों को उनके परिवार से लाते वक्त 20 हजार रुपये दिए जाते हैं. वहीं हर मोबाइल चोरी पर उन्हें 50 रुपये दिए जाते हैं. उसके साथ ही खाना और 50 रुपये प्रतिदिन दिए जाते हैं.
बच्चों पर रखी जाती है नजर
आगे उन्होंने ये भी बताया कि बच्चों को भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर ले जाया जाता है और फिर हर बच्चे के पीछे एक रिंग मास्टर होता है और वो ही उन्हें बताता है कि कौन से मोबाइल पर उन्हें हाथ साफ करना है. खास बात यह है कि सबसे ज्यादा मोबाइल स्नैचिंग और चोरी के मामले में संथाल के बच्चों का इस्तेमाल किया जा रहा है. बच्चों के परिजनों को झांसे में लेकर और पैसों का लालच देकर बच्चों को शहरों में लाया जाता है और फिर जबरन उनसे चोरी की वारदात को अंजाम दिलवाया जाता है.
क्या है बांग्लादेश से कनेक्शन?
बच्चों से हुई काउंसलिंग में यह भी बात सामने आई कि ऊपर के पॉकेट में रखे मोबाइल और पीछे पॉकेट में रखे मोबाइल पर बच्चे अधिक हाथ साफ करते हैं. वहीं जो मोबाइल साइड पॉकेट से आधा बाहर हो सिर्फ उन्हीं मोबाइल पर हाथ साफ करने की हिदायत दी जाती है. चोरी के इन मोबाइल को बांग्लादेश में बेच दिया जाता है. महज 10 से 15 हजार में ही कीमती मोबाइलों को बेचा जाता है.
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