सम्मेद शिखर (Sammed Shikhar) पर जैन धर्मालंबियों के द्वारा विरोध के बाद अब आदिवासीयों (Tribals) ने पारसनाथ पहाड़ी (Parasnath Pahadi) को अपना बताया जा रहा है. जिसके बाद पारसनाथ जैन धर्म स्थल को लेकर विवाद में एक नया मोड़ आ गया. इस पहाड़ को लेकर विभिन्न आदिवासी संगठन के साथ जेएमएम विधायक लोबिन हेब्रम (JMM MLA Lobin Hembrom) ने इसे आदिवासियों का मारंगबुरू (Marangburu) बताया है. जहां आदिवासी संगठनों ने सरकार ने इसे मारंगबुरु स्थल घोषित करने की मांग की है.


मारंगबुरु संथाल आदिवासी संगठन की ओर से लोबिन हेम्ब्रम ने कहा आज यह हाल क्यों हुआ, जब उस जगह पर वर्षों से आदिवासी समाज के लोग रह रहे है. वहीं अब आदिवासी समुदाय को उस 10 किलोमीटर के क्षेत्र में बली चढ़ाने से रोका जा रहा है. यहां तक कि जंगलों से लकड़ी तक नहीं काटने दी जा रही है. उन्होंने कहा कि जमीन हमारी पहाड़ हमारे और कब्जा किसी और का, ऐसा नहीं चलेगा. 


जेएमएम विधायक लोबिन हेब्रम ने किया ये दावा
लोबिन हेम्ब्रम ने कहा जैन धर्म के लोगों का यहां हम सभी सम्मान करते है, लेकिन कब्जा नहीं करने देंगे. वह हमारा मारंगबुरु पहाड़ है. इस मामले में मुख्यमंत्री से मांग करेंगे, अब समय आ गया है जब केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ बड़ा आंदोलन किया जाएगा. उन्होंने कहा कि अब पानी सर से ऊपर चला गया है अब सरकार पारसनाथ को मारंगबुरु स्थल घोषित करें. लोबिन हेम्ब्रम ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि 25 जनवरी तक इस मामले का रास्ता नहीं निकला तो वे 30 जनवरी को उलिहातू में उपवास पर बैठेंगे और आगे की रणनीति बनाएंगे


10 जनवरी को पारसनाथ पहाड़ी के पास हजारों संख्या में जुटेंगे आदिवासी
लोबिन हेब्रम ने जैन संतों पर आरोप लगाते हुए कहा कि जैन मुनि गिरिडीह में नग्न हो कर घूमते हैं. जिससे हमारी बहू बेटियां सर झुकाए चलने को मजबूर है. उन्होंने दावा किया कि पारसनाथ पर हमारा मारंगबुरु है और जैन धर्म का पहाड़ पर कब्जा है. हेब्रम ने कहा कि वहां विकास हो लेकिन सभी लोगों का ख्याल रखना होगा. अगर निर्णय पर सरकार विचार नहीं करती है तो आगे एक बड़ा आंदोलन करने को बाध्य होंगे. 10 जनवरी को पारसनाथ पहाड़ी के पास हजारों की संख्या में लोग जुटेंगे और सरकार को एक संदेश देंगे.


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