Jharkhand: JMM विधायक की राह में रोड़ा बनी 9 मंत्रियों की 'ना', लाभ का पद होने से सोनिया-जया की जा चुकी है सदस्यता
Jharkhand Municipal Election 2023: सूत्रों के अनुसार जब कैबिनेट में प्रस्ताव पर चर्चा शुरू हुई तो मुख्य सचिव ने स्वीकृति नहीं दी. उन्होंने बताया कि पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष का पद लाभ का पद है.
Jharkhand News: झारखंड में गिरिडीह के झामुमो विधायक सुदिव्य कुमार सोनू (Sudivya Kumar Sonu) झारखंड राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग का अध्यक्ष बनते-बनते रह गए. उन्हें आयोग का अध्यक्ष बनाने के प्रस्ताव पर छह सितंबर को हुई कैबिनेट की बैठक में मौजूद 9 मंत्रियों ने असहमति जता दी. इसके बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) को सुदिव्य को आयोग का अध्यक्ष बनाने के प्रस्ताव को स्थगित करने का आदेश देना पड़ा. ऐसे में नतीजा यह हुआ कि राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग का अध्यक्ष पद फिर खाली रह गया.
ऐसी स्थिति में अब झारखंड में नगर निकाय चुनाव का इंतजार लंबा हो गया है. वहीं नगर निकाय चुनाव में ओबीसी को आरक्षण देने के लिए ट्रिपल टेस्ट जरूरी है. ट्रिपल टेस्ट राज्य पिछड़ा आयोग ही करेगा. छह सितंबर को हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग ने झामुमो विधायक सुदिव्य को झारखंड राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग का अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव दिया था, जिसे कैबिनेट में रखने के लिए पहले मुख्य सचिव सुखदेव सिंह और सीएम हेमंत सोरेन ने भी सहमति दी थी.
अध्यक्ष का पद लाभ का पद है
सूत्रों के अनुसार जब कैबिनेट में प्रस्ताव पर चर्चा शुरू हुई तो मुख्य सचिव ने इसे नियम के खिलाफ बताते हुए स्वीकृति नहीं देने का सुझाव दिया. उन्होंने बताया कि पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष का पद लाभ का पद है. लाभ के पद मामले में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और सपा नेता जया बच्चन की सदस्यता जा चुकी है. पूरी स्थिति जानने के बाद मुख्यमंत्री को प्रस्ताव स्थगित करने का आदेश देना पड़ा.
सोनिया गांधी और जया प्रदा की भी गई थी सदस्यता
यूपीए शासन काल में साल 2006 में सोनिया गांधी के खिलाफ लाभ के पद का मामला आया था. उस समय सोनिया गांधी रायबरेली से सांसद थीं. इसके अलावा वह यूपीए सरकार के समय राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की चेयरमैन भी थीं, जिसे लाभ का पद करार दिया गया था. इस वजह से सोनिया को लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा देना पड़ा और दोबारा चुनाव लड़ना पड़ा था. इसी तरह साल 2006 में फिल्मी अभिनेत्री जया बच्चन पर भी लाभ के पद पर रहने का मामला उठा. वह राज्यसभा सांसद के साथ-साथ उत्तर प्रदेश फिल्म विकास निगम की चेयरमैन बनाई गई थीं. इसे भी चुनाव आयोग ने लाभ का पद करार दिया और उन्हें अयोग्य करार दिया.
क्यों जरूरी है अध्यक्ष पद?
इसके बाद जया बच्चन सुप्रीम कोर्ट भी गईं, लेकिन राहत नहीं मिली. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि, अगर कोई सांसद या विधायक ने लाभ का पद लिया है, तो उसकी सदस्यता निरस्त हो जाएगी चाहे उसने वेतन या दूसरे भत्ते लिए हों या नहीं. झारखंड सरकार ने नगर निकायों का चुनाव कराने से पहले ट्रिपल टेस्ट कराने का फैसला किया है. ट्रिपल टेस्ट कराने की जिम्मेवारी राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को दिया है, लेकिन दिलचस्प यह है कि आयोग में न तो अध्यक्ष हैं और न सदस्य. इस कारण न तो ट्रिपल टेस्ट हो रहा है और ना ही नगर निकायों के चुनाव हो पा रहे हैं.