Jharkhand Maoist: कभी पुलिस की खाकी वर्दी देख उसे खून से लाल कर देने की तमन्ना रखने वाला पूर्व नक्सली आज उसी खाकी वर्दी को सिलकर अपना जीवन यापन कर रहा है. हम बात कर रहे हैं पूर्व नक्सली राम पोदो लोहरा की जो आज राजधानी रांची के पुलिस लाइन में एक छोटे से कमरे में पुलिस की वर्दी को सिलने का काम करता है. जिनके यहां न सिर्फ पुलिस के सिपाही बल्कि रांची के आईपीएस भी अपनी वर्दी सिलवाते हैं.


क्या कहते हैं पूर्व नक्सली राम पोदो लोहरा?
कभी कुंदन पाहन के सक्रिय नक्सली राम पोदो लोहरा आज अपनी जिंदगी में खुश है. एबीपी न्यूज़ से बातचीत के क्रम में उन्होंने बताया कि जब वे पार्टी में सक्रिय थे तब उन्हें पुलिस को देखना बिल्कुल पसंद नहीं आता था क्योंकि उनको ये बात अच्छे से पार्टी द्वारा समझा दी गई थी कि पुलिस कभी भी गरीबों का दर्द नहीं समझता है, तब लगता था कि इस खाखी वर्दी को मिटा दिया जाये. उन्होंने बताया कि वे कुंदन पाहन के दस्ते में भी वर्दी और पीथू (पीठ में ठगने वाला बेग) सिलने का काम किया करते थे, तब उन्हें ये नहीं पता था कि इस काम की वजह से उनके जीवन में काला धब्बा लग जायेगा. उन्होंने कई बार पुलिस से लोहा लिया कई बार पुलिस के खिलाफ गोलियां भी चलानी पड़ी.


ऐसे बदल गई जिंदगी
उन्होंने बताया कि जंगल में रहते वक्त हर वक्त एक डर सताता रहता था कि कहीं पुलिस ना आ जाये. राम पोदो लोहरा आगे बताते हैं कि एक बार वे जंगल में वर्दी सिलने का काम कर रहे थे तभी पुलिस के आने की खबर आ गई. उन्हें अपना सिलाई मशीन छोड़कर भागने पर मजबूर होना पड़ा था. मगर जब से उन्होंने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया तब से जिंदगी बदल गई. आज वे आजाद महसुस करते हैं. लोगों के नजर में अब उन्हें गलत नहीं माना जाता है. आज राम पोदो लोहरा अपने पुत्र के साथ पुलिस की वर्दी सिलते हैं.


क्या कहते हैं रांची के ग्रामीण एसपी?
वही वर्दी सिलवाने पहुंचे रांची के ग्रामीण एसपी नौशाद आलम ने बताया कि राम पोदो लोहरा एक समय काफी सक्रिय नक्सली हुआ करते थे. जब झारखंड सरकार द्वारा 2013 में नई दिशाएं के तहत इनको आत्मसमर्पण करने का मौका मिला तब ये हमसे जुड़े और तब से ये मुख्यधारा से जुड़ चुके हैं. इनको जो मुआवजा राशि दी जानी थी वह दे दी गई थी. जब प्रशासन को पता चला कि राम पोदो वर्दी सिलने का काम करते हैं तब से उनसे सेवा ली जा रही है. वे बताते हैं कि राम पोदो काफी अच्छा कपड़ा सिलते हैं. जिस कारण वे भी अपनी वर्दी का रिपेयर और नई वर्दी राम पोदो लोहरा से ही सिलवाते हैं.


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