Chaibasa Naxalite: नक्सली लागू कराएंगे 1932 की खातियान आधारित स्थानीय नीति, पोस्टर चस्पा कर सरकार से कही ये बात
Chaibasa: नक्सली बंदी के बाद भाकपा माओवादी संगठन ने चाईबासा के गोइलकेरा के पाटुंग में पुलिस को खुली चुनौती देते हुए सरेआम मोबाइल टावर को आग के हवाले कर दिया था.
Jharkhand News: झारखंड में बीते दिनों चाईबासा (Chaibasa) जिले के गोइलकेरा के घने जंगलों के बीच बसे पांटुग गांव में नक्सलियों (Naxalites) ने सरेआम मोबाइल टावर को आग के हवाले कर दिया. वहीं इस पूरे मामले में नया मोड़ तब आया जब पुलिस ने घटनास्थल के बगल मौजूद एक स्कूल में पोस्टर चस्पा किया हुआ पाया. दरअसल, नक्सलियों ने 1932 के खतियान के आधार पर झारखंड की स्थानीय नीति लागू करने का आदेश सीधे-सीधे सरकार को दिया है. बता दें कि,पोस्टर में स्पष्ट शब्दों में लिखा गया है कि, 'संविधान की पांचवी सूची में निर्देशित पेसा, सीएनटी एसपीटी एक्ट के साथ 1932 के आधार पर झारखंड की स्थानीय नीति को सख्ती से लागू करें. साथ ही नक्सली गतिविधियों को आंदोलन का रूप देते हुए गिरफ्तार व्यक्तियों को बिना शर्त रिहा करें.'
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, 15 तारीख को नक्सली बंदी के बाद भाकपा माओवादी संगठन ने चाईबासा के गोइलकेरा के पाटुंग में पुलिस को खुली चुनौती देते हुए सरेआम मोबाइल टावर को आग के हवाले कर दिया था. नक्सलियों द्वारा मोबाइल टावर को पेट्रोल डालकर जला दिया गया. वहीं घटनास्थल पर भाकपा माओवादी संगठन का पोस्टर भी मिला. दरअसल, ये घटना 16 मई की शाम गोईलकेरा के कोल्हान रिजर्व वन क्षेत्र अन्तर्गत पाटुंग गांव का है. स्थानीय लोगों ने बताया कि, दर्जनों हथियारबंद नक्सली गांव पहुंचकर सबसे पहले ग्रामीणों को सुरक्षित स्थान पर ले गये. इसके बाद कोल्हान रिजर्व वन क्षेत्र के नक्सल प्रभावित क्षेत्र पाटुंग गांव में निमार्णाधीन मोबाइल टावर पर पेट्रोल डालकर एयरटेल टावर के मशीनों में आग लगा दिया.
5-6 महीने पहले ही लगा था टावर
इसके बाद नक्सली पोस्टर छोड़कर चले गए. हालांकि, ग्रामीणों की मानें तो मोबाइल टावर को अधिक नुकसान नहीं पहुंचा है. लेकिन उसके डीजी सेट व अन्य उपकरण पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गये हैं. वहीं पोस्टर सार्वजनिक होने के बाद पूरा मामला राजनीतिक गलियारों के साथ-साथ सामाजिक गलियारों में भी चर्चा का केंद्र बना हुआ है. जहां अब आम लोगों का समर्थन नक्सली संगठनों के प्रति बढ़ता हुआ देखा जा रहा है. बता दें कि, यह टावर 5-6 महीने पहले ही ग्रामीणों को संचार सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से लगाया गया था, लेकिन अभी तक संचार सुविधा शुरू नहीं हो सकी थी.
पुलिस अधीक्षक ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि, मामले की जांच की जा रही है. जांच के बाद ही चीजें स्पष्ट हो पाएगी. वहीं चाईबासा के एसपी का कहना है कि, सुदूर क्षेत्र के जंगल इलाकों में मोबाइल टावर लगने से आम लोगों के साथ सुरक्षा बलों को भी संपर्क साधने में आसानी होगी, जिससे डर कर नक्सलियों ने यह कायराना हरकत की है.