Jharkhand News: झारखंड के सरायकेला जिले से एक अनोखा मामला सामने आया है जहां जिले के चांडिल अनुमंडल में मौजूद स्वर्णरेखा परियोजना में पूरे जिले या यूं कहें की झारखंड के सबसे महत्वपूर्ण जिले के किसानों को खेती करने से रोकने का काम सिंचाई विभाग करता हुआ देखा जा रहा है. पूरे मामले की जानकारी जब सिंचाई विभाग से लेनी चाही तो विभाग में सर्वोच्च पद पर बैठे कार्यपालक अभियंता सूरज भूषण अपने कार्यालय से नदारद दिखे, वहीं कार्यालय में काम करने वाले कर्मचारी ने बताया कि बीते गुरुवार से उनका  कार्यालय में आना नहीं हुआ है. 


विभाग ने नहीं किया ठेकेदार का भुगतान


दबी जुबान से उसने सीधे मुख्यमंत्री तक पहुंच की बात कही. इतने में ही वहां ठेकेदार आ पहुंचे, जब उनसे मामले की जानकारी ली गई तो बातों ही बातों में सरकार के सिपहसालारों की कलई खुलती दिखी. चैक कैनाल डैम का निर्माण करने वाले ठेकेदार अनूप राय ने बताया कि सितंबर 2022 में ही उन्होंने कैनल और उसमें निर्माण कराए गए गेट का काम सफलतापूर्वक संपन्न कर दिया है. कई जांच हुई सभी चीजों में सरकार के द्वारा निर्धारित तमाम चीजों को संज्ञान में लेने के बाद ही सारे काम संपूर्ण किए गए हैं लेकिन पदाधिकारियों की कारगुजारी का नतीजा यह है कि उन्हें अभी तक कोई भी पैसे का भुगतान नहीं किया गया है जिसके चलते ना ही उनके द्वारा बनाए गए नाले में पानी छोड़ा गया और ना ही खेतों तक पानी पहुंचा.


डैम में पानी न होने से किसानों के सूख रहे खेत


उन्होंने कहा कि आला अधिकारियों को तो झारखंड सरकार और मुख्यमंत्री ने फंड आवंटित कर दिए लेकिन मलाई खाने के चक्कर में काम करने वाले ठेकेदारों का दोहन शुरू हुआ और उन्हें अभी तक भुगतान नहीं किया गया. ठेकेदार को तो केवल पैसे का नुकसान हुआ लेकिन किसान इससे बेमौत मारे गए, आज नतीजा यह है कि मुख्यमंत्री के द्वारा आदेश पारित हुआ और चंद दिनों पहले झारखंड के हर जिले में मुख्यमंत्री सुखाड़ राहत योजना का आयोजन हुआ जहां खेती करने वाले मजबूर किसानों को 3500 की अग्रिम राशि भुगतान कराने के लिए रजिस्ट्रेशन कराना पड़ रहा है


भुगतान के बाद ही डैम में पहुंचेगा पानी


ठेकेदार ने कहा कि अगर किए गए काम का भुगतान कर दिया जाता तो सभी कैनलों में पानी भी निर्बाध पहुंचता और किसान आराम से खेती कर पाते लेकिन ऐसा नहीं हुआ और आज पूरा मामला ही पलट कर रह गया है. अनूप राय ने कहा कि चांडिल अनुमंडल में सूरज भूषण नाम के कार्यपालक अभियंता अपनी जिम्मेदारियों को जूते की नोक पर रखते हैं और सिर्फ एकमात्र मौजूद ठेकेदार का ही नहीं बल्कि तमाम ठेकेदारों का दोहन लगातार करते हैं. उन्हें कोई लेना देना नहीं है कि किसान जिए या मरे. अब यह आपको तय करना है कि सरकार कैसे काम कर रही है. शायद पदाधिकारियों के दबाव से मुख्यमंत्री की कुर्सी हिल भी नहीं पाती होगी, इसलिए ऐसे अधिकारियों पर कोई कार्यवाही करने में खुद दिशोम गुरु के बेटे झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी डरते हैं.


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