Jharkhand News: पिछले 32 साल से शिवरात्रि के मौके पर बासुकीनाथ धाम पर अपने शहनाई की मीठी गूंज बिखेर रहे हैं काजिम हुसैन
बनारस के रहने वाले 81 वर्षीय काजिम हुसैन पिछले करीब 30 -32 वर्षों से झारखण्ड के दुमका स्थित बासुकीनाथ धाम पहुंचकर शहनाई वादन करते हैं.
Jharkhand: आस्था के आगे धर्म का बंधन भी रास्ते का रोड़ा नही बन पाता है. जहां धर्म समुदाय जाति का बंधन सब टूट जाता है. उपराजधानी दुमका के बासुकीनाथ शिवधाम में एक ऐसा ही मामला देखने को मिल रहा है जहां एक मुस्लिम परिवार के लोग महाशिवरात्रि के शुभ दिन में भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह में शरीक होकर पूरी रात विवाह होने तक अपनी शहनाई की मीठी गूंज से श्रद्धालुओं को आत्मविभोर कर देते है.
पिछले 32 सालों से बाबा के धाम में बजा रहे हैं शहनाई
उत्तर प्रदेश के बनारस के रहने वाले 81 वर्षीय काजिम हुसैन पिछले करीब 30 -32 वर्षों से झारखण्ड के दुमका स्थित बासुकीनाथ के फौजदारी बाबा के दरबार मे शिवरात्रि के दिन पहुंच कर अपनी शहनाई का वादन करते है. और माता पार्वती के विदाई तक मंदिर में अपनी शहनाई का मीठी गूंज बिखेर कर पूरा देवभूमि को मंत्रमुग्ध कर देते है. एक मुश्लिम होने के नाते कासिम छेड़े गये शहनाई की सुर लोगों के बीच आपसी भाईचारे और सामाजिक सौहार्द का प्रतीक बनकर समाज के ठेकेदारों को एक बड़ा संदेश देते है.
जहां लोगो की कुत्सिक मानसिकता के चलते धर्म के विवाद का दीवार इंसानियत बीच आती है. इसका सटीक उदाहरण काजिम पेश कर लोगों को सामाजिक समरसता का पाठ पढ़ाते है.काजिम इस महाशिवरात्रि के दिन काजिम अपने साथ अपने पुत्र और भतीजे जाबिर हुसैन,शमशेर अब्बास और ताहिर हुसैन के साथ अपने शहनाई के सुर को तबला ,झांझ और तानपुरा के साथ हारमोनियम का मिश्रित ताल देकर पूरी शमां बांध देते है जो इस बाबा मैया के विवाह में लोगों को झूमने पर विवश कर देते है.
बाबा की शक्ति हमें खींच लाती है
काजिम कहते है कि बाबा की शक्ति ही हमे प्रत्येक साल खींच लाती है वह यह भी कहते है कि जबतक शरीर मे जान रहेगी तबतक प्रत्येक शिवरात्रि के दिन मैया के विदाई तक अपनी शहनाई बजाते रहेंगे. वह कहते है कि बाबा मैया की शादी के लिए मेरे बाद मेरे वारिस इन रश्मो को पूरी करने के लिए मंदिर में शहनाई का गूंज बिखेरते रहेंगे. फौजदारी बाबा के दरबार मे शिव पार्वती के विवाह के बाद दूसरे दिन मंदिर में मर्याद और घूंघट की रश्म अदायगी होती है.इस दिन माता का ससुराल के विदाई रश्म मनाई जाती है.
पूरे मंदिर में अबीर और गुलाल से होली खेल कर श्रद्धालु के मन मे भक्ति के साथ नई उमंग और उत्साह इस शहनाई के धुन के बीच उमड़ती है.बहरहाल देश मे धर्मो के बीच हो रहे खटास के बीच कासिम निश्चित रूप से एक संदेश देकर आपसी भाईचारे का संदेश देते है. जो अपने आप मे एक अनोखा मिशाल के रूप में देखा जाता है.
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