Jharkhand News : आदिम पहाड़िया जनजाति के डाकिया खाद्यान्न योजना में घपला, दो महीने से नहीं मिला गरीबों को अनाज
Jharkhand News : झारखंण्ड के संताल परगना की पहाड़िया आदिम जनजाति को पिछले दो महीने से सरकार द्वारा चलाई गई डाकिया योजना का लाभ नहीं मिला है, इसमें लोगों को हर महीने 35 किलो अनाज दिया जाता है.
Jharkhand News: भारत सरकार विलुप्त के कगार पर खड़े पहाड़िया आदिम जनजाति को बचाने के लिए हर साल करोड़ों रूपये विभिन्न विकास योजनाओं के माध्यम से खर्च करती है. लेकिन की इन योजनाओं का लाभ उन तक नहीं पहुंच पा रहा है. बता दें कि आदिम जनजातियों को भूख से राहत देने के लिए भारत सरकार ने राज्य सरकार के माध्यम से डाकिया योजना शुरु की थी जिसके तहत 35 किलो अनाज हर घर को देना था. लेकिन पिछले दो महीने से इन पहाड़ियों को अनाज ना राज्य की चलाई योजनाओं का मिला है और ना भारत सरकार के अन्न योजना का. ऐसे में ये जनजाति खुद को उपेक्षित महसूस कर रही है और उनके बीच आर्थिक रूप से संकट छा गया है. दरअसल हम बात हम कर रहे हैं दुमका जिले के शिकारीपाड़ा प्रखंड की, जहां पिछले दो महीने से अनाज का वितरण नहीं किया गया है. यहां पर अनाज लोगों के घरों में पहुंचने की जगह गोदाम की शोभा बढ़ा रहे है.
कौन है पहाड़िया जनजाति
झारखंड के संताल परगना में रहने वाले लोगों को पहाड़िया आदिम जनजाति की सूची में गिना जाता है. ये जाती पहाड़ो पर निवास करती है. जो भारत की प्राचीन और विलुप्त के कगार पर खड़ी है. सरकार इस जाति को बचाने और उसे आत्मनिर्भर बनाने के लिए अलग-अलग योजना के माध्यम से हर साल करोड़ो रूपये खर्च करती है. लेकिन पदाधिकारियों की लापरवाही के कारण इन जनजातियों का समुचित लाभ नहीं मिल पाता है. गौरतलब है कि भारत सरकार और राज्य सरकार ने कोरोनाकाल में गरीब और असहाय लोगों को भीख से बचाने के लिए हर महीने उन्हें दो बार चावल दिए जाने की योजना बना रखी है. जिसमें एक बार 35 किलोग्राम और दूसरी बार उस परिवार के प्रति व्यक्ति 5 किलोग्राम के हिसाब से चावल दिया जाना है. पूरे जिले में 8474 पहाड़िया परिवार पीटीजी योजना से जुड़े है जबकि शिकारीपाड़ा प्रखंड में करीब657 पहाड़िया परिवार को इस योजना से जोड़कर लाभान्वित किया जाना है.
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क्या कहते है पहाड़िया लाभुक
एबीपी न्यूज़ ने ग्राउंड जीरो पर इसका हाल जानने के लिये जिले के शिकारीपाड़ा प्रखंड के दो गांव मुरलीपहाड़ी और भालकी पहाड़िया टोला का दौरा किया. जहां आशा,फुलमनी,पार्वती और दुलाली देवी सहित कई पहाड़िया जनजाति के लाभुकों ने अपनी आर्थिक स्थिति काफी बदतर बताई. बदहाली की स्थिति में पहुंची इस जनजाति के लिए एक वक्त का भोजन करना भी आसमान से तारे तोड़ना के बराबर है. वहीं जब उनसे योजनाओं के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने बताया कि इन योजनाओं का उन्हें कोई लाभ नहीं मिल रहा. हम लोग तो किसी तरह जंगल से पत्ता और सुखी लकड़ियों को हाट बाजारों में बेच कर जिंदगी का गुजारा करते है. यदि हाटों में सामानों की बिक्री हुई तो ठीक अन्यथा भूखे पेट सोना पड़ता है. आरजेडी के जिला अध्यक्ष अमरेंद्र कुमार ने कहा कि राज्य की गठबंधन की सरकार असहाय गरीब और वृद्ध लोगों को लाभान्वित करने के लिए खाद्यान्न योजना चला रही है अगर पहाड़िया जाति को इसका लाभ नहीं मिला तो ये गंभीर मामला है.
क्या कहते है पदाधिकारी
शिकारीपाड़ा के सीओ और एमओ के प्रभार पर बने राजकमल का कहना है कि इन योजनाओं का लाभ लोगों तक पहुंचाया जा रहा है. लेकिन एफसीआई से ही चावल का आवंटन कम उपलब्ध होने के कारण शिकारीपाड़ा में पिछले दो माह जनवरी और फरवरी में लोगों का राशन नहीं दिया गया. वहीं जिले के डीएसओ संजय कुमार दास के मुताबिक जिले के सभी पहाड़िया परिवार को इसका लाभ दिया जा रहा है अगर शिकारीपाड़ा में ऐसा नही किया गया है तो ये गंभीर मामला है. उन्होंने लापरवाही बरतने वाले पदाधिकारी पर कार्रवाई करने की बात कही है.
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