Jharkhand News: हमारी धरती में कई तरह के पेड़ पौधे और जीव जंतु उपस्थित है. मगर इन पेड़ पौधों और जीव जंतुओं में अलग-अलग रूप और अलग अलग गुण और अवगुण पाए जाते हैं. ऐसा ही कुछ राजधानी रांची के वन उत्पादकता विभाग में देखने को मिल रहा है. दरअसल, इस संस्थान के केम्पस में एक ऐसा पेड़ है जिसे सुसाइड ट्री कहा जाता है. बताया जाता है कि राजा महाराजा के समय मे मृत्यु दंड के स्वरूप इसी पेड़ का फल खाने को दिया जाता जिसे खाने के बाद मनुष्य को बचा पाना नामुमकिन हो जाता था.
इस सुसाइड ट्री को दुनिया सेर्बेरा आडालाम के नाम से भी जानती है
बता दें कि यह पेड़ आमतौर पर केरल के आसपास के समुद्रीय तट पर पाया जाता है और वहां इस फल की वजह से कई मौते हो जाती हैं. इस फल के बीज में एल्कलॉइड नामक जहर पाया जाता है. जो मनुष्य के दिल के लिए काफी जहरीला होता है. यह पेड़ रांची के वन उत्पादकता संस्थान में उपस्थित है. जहां इस पेड़ के नीचे एक चेतावनी का बोर्ड भी लगाया गया है. इस बोर्ड पर सुसाइड ट्री लिखा गया है. इस कैंपस में गार्ड की तैनाती भी की गई है क्योंकि कोई भी अनजान व्यक्ति इस फल को गलती वस खा न ले. वहीं वन उत्पादकता संस्थान के तकनीकी अधिकारी रविशंकर ने बताया कि संस्थान के अनिमेष सिन्हा ने बंगाल के सुंदर वन से इस वृक्ष को लाया था हालांकि हमारे यहां पेड़ पौधों पर शोध किया जाता है. इस वजह से यहां कई वृक्ष हैं. अपनी अलग पहचान की वजह से आज सुसाइड ट्री चर्चा का विषय बना है. आमतौर पर यह वृक्ष झारखंड के जंगलों में देखने को नहीं मिलता है.
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जाना जाता है सेर्बेरा आडालाम के नाम से
अधिकारी ने बताया कि संस्थान के द्वारा सुसाइड ट्री के फल से नया पौधा तैयार किया जाता है. इस बात का ख्याल रखा जाता है कि जिस मिट्टी में फल से पौधा तैयार किया जाता है उसी मिट्टी में पौधे को लगा दिया जाता है. हालांकि इस वृक्ष का फल देखने में आम की तरह होता है जो आप को अपनी ओर आकर्षित भी करता है मगर इसका सेवन करने से मौत निश्चित है. वैसे तो इस कैंपस में कई पेड़ पौधे हैं मगर सुसाइड ट्री के नाम से या इकलौता वृक्ष है. देखने पर यह बिल्कुल सामान्य पेड़ों की तरह दिखता है. अपने हरे रंग और सफेद फूल की वजह से काफी खूबसूरत भी दिखता है. एक नजर में कोई भी इसे फलदार वृक्ष ही समझेगा. इस सुसाइड ट्री को दुनिया सेर्बेरा आडालाम के नाम से भी जानती है.
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