Jharkhand Corona Vaccination: झारखंड के इस जिले में धीमी पड़ी बच्चों के वैक्सीनेशन की रफ्तार, प्रशासन ने कही ये बात
झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता का इस मामले पर कहना है कि बच्चों को इंजेक्शन से डर लगता है. लेकिन हम उन्हें अवेयर करने का लगातार प्रयास कर रहे हैं.
Vaccination in Jharkhand: झारखंड में 15 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों को वैक्सीन लगाई जा रही है, लेकिन जमशेदपुर पेरेंट्स के डर की वजह से बच्चों के वैक्सीनेशन की रफ्तार धीमी पड़ गई है, जिससे टीकाकरण के मामले में जिला पिछड़ता जा रहा है. वहीं प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ने इस वैक्सीनेशन की धीमी गति का कारण को बच्चों में इंजेक्शन का डर बताया है. उनका कहना है कि हम बच्चों को टीकाकरण के लिए जागरूक कर रहे हैं ताकी उन्हें संक्रमण से बचाया जा सके.
जमशेदपुर में धीमी हुई रफ्तार
जमशेदपुर में 15 से 18 वर्ष की आयु वर्ग के वैक्सीनेशन की गति बहुत धीमी है, जिसे बढ़ाने के लिए प्रखंड से लेकर जिला स्तर के सभी संबंधित पदाधिकारी आपस में बैठक कर जल्द से जल्द शत-प्रतिशत का लक्ष्य प्राप्त करने पर जोर दे रहे हैं. इसको लेकर स्कूल के प्रिंसिपल को पूर्व में नोटिस देकर स्कूल के बच्चों का वैक्सीनेशन के लिए कहा गया है, लेकिन अभी भी पेरेंट्स इसमें ढीलाई बरतते नजर आ रहे हैं. आज एक स्कूल में 600 बच्चों को वैक्सीन लगनी थी लेकिन आधे ही बच्चों को कोरोना टीका लग पाया.
क्या कहते है स्वास्थ्य मंत्री
वहीं झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता का इस मामले पर कहना है, "बच्चों के अवेयरनेस के लिए हम लोग का लगातार प्रयास कर रहे हैं. साथ ही साथ सभी जिले के उपायुक्त को निर्देश दिया गया है. वैकल्पिक व्यवस्था चलाकर 15 से 18 वर्ष के आयु के बच्चे को वैक्सीनेट करने का दिशा में काम कर रहे हैं. इसलिए कहीं चिंता की बात नहीं है बच्चे हैं तो उन्हें इंजेक्शन से तो डर लगेगा ही और बच्चों को जागरूक करने का हमारा लगातार प्रयास जारी है."
स्कूल प्रशासन पेरेंट्स को कर रहा सूचित
वैक्सीनेशन बढ़ाने के लिए स्कूल प्रशासन पेरेंट्स को लगातार सूचित कर रहा है. वहीं एक स्कूल के फादर जेरी का कहना है, "तैयारियों के मुताबिक हम बच्चों को पहले ही सूचित कर देते हैं, लेकिन जितनी अवेयरनेस होनी चाहिए नहीं दिख रही है. इस वजह से बच्चों के वैक्सीनेशन में कमी दिख रही है. हम यही अपील कर रहे हैं कि सभी बच्चों के जल्द वैक्सीन लगे और स्कूल फिर से शुरू हो सकें. बच्चों का वैक्सीनेशन करने पहुंची नर्स का कहना है कि जितने बच्चों की लिस्ट दी जाती है उससे आधे बच्चे ही स्कूल वैक्सीनेशन के लिए पहुंचते है. कहीं-कहीं तो 20 फीसदी तक ही बच्चे आते हैं, जो कि चिंता की बात है.
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