Dumka Child Marriage and Child Trafficking Case: चाइल्ड मैरिज एवं चाइल्ड ट्रैफिकिंग के मामले में थाने में आवेदन दिए जाने के बावजूद कानूनी कार्रवाई नहीं करने के मामले में बाल कल्याण समिति (Child Welfare Committee) के बेंच ऑफ मजिस्ट्रेट ने दुमका (Dumka) के मुफस्सिल थाना प्रभारी उमेश राम से स्पष्टीकरण मांगा है. मामला दुमका के महुआडंगाल इलाके की 14 वर्षीय बालिका का बाल विवाह (Child Marriage) कर उसे उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) ले जाने और चाइल्ड ट्रैफिकिंग (Child Trafficking) का है. पीड़ित ने पहले इस मामले में मुफस्सिल थाने में लिखित शिकायत की थी, फिर 8 जुलाई को समिति के समक्ष प्रस्तुत होकर पूरे मामले से अवगत कराया था.
ये है पूरा मामला
सीडब्ल्यूसी के चेयरपर्सन अमरेन्द्र कुमार ने पीड़िता के चाचा का बयान लिया. समिति ने किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 30 (2) के तहत 2 अलग-अलग मामले दर्ज किए हैं और अभिावक का बयान दर्ज कर मामले की जांच कर रही है. अपने बयान में बालिका और उसके भाई के चाचा ने समिति को बताया है कि उसकी 14 वर्षीय भतीजी कभी महुआडंगाल और कभी बाउरीपाड़ा में अपने बहन के घर में रहा करती थी. 24 जून की रात वो गायब हो गई. दूसरे दिन खोजबीन करने के दौरान उसकी बेटी को जानकारी मिली कि चचेरी बहन की बिजली ऑफिस (महुआडंगाल) में स्थित शिव मंदिर में शादी हो रही है. बेटी जब मंदिर पहुंची तो वो लोग शादी कर वहां से निकल रहे थे. इसी दौरान उसने विवाहित जोड़े की फोटों खींच ली.
मंदिर के पूजारी और उसकी पत्नी पर मिलीभगत का आरोप
महुआडंगाल में रहने वाले मिलन सिंह नाम के एक व्यक्ति ने बालिका के चाचा से मुलाकात कर बताया कि उसकी भतीजी और भतीजा एक महीना बाद वापस आ जाएंगे. बालिका के चाचा ने बताया है कि मिलन सिंह ऐसी आधा दर्जन शादियां करवा चुका है. उसने मंदिर के पूजारी देवाशीष रक्षित और उसकी पत्नी पर भी इस मामले में मिलीभगत का आरोप लगाया है. इस मामले की सुनवाई सीडब्ल्यूसी के चेयरपर्सन अमरेन्द्र कुमार, सदस्य रंजन कुमार सिन्हा, डॉ राज कुमार उपाध्याय, कुमारी विजय लक्ष्मी और नूतन बाला ने की.
स्पष्टीकरण देने का दिया निर्देश
चेयरपर्सन अमरेन्द्र कुमार ने बताया कि चाइल्ड मैरिज और चाइल्ड ट्रैफिकिंग जैसे गंभीर अपराध की शिकायत करने पर मुफस्सिल थाना प्रभारी की तरफ से इस मामले में प्राथमिकी दर्ज किए जाने के बजाय महज सनहा दर्ज किया गया है. बेंच ऑफ मजिस्ट्रेट ने पत्र प्राप्ति के 3 दिनों के अंदर मुफस्सिल थाना प्रभारी को समिति के समक्ष हाजिर होकर लिखित स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया है. ऐसा नहीं होने पर समिति एसपी, राज्य बाल संरक्षण आयोग और राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग को उक्त पुलिस पदाधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की अनुसंशा कर देगी.
ये भी पढ़ें: