झारखंड में बाघों के एक मात्र प्राकृतिक आश्रय पलामू टाइगर रिजर्व (Palamu Tiger Reserve) के जंगलों में इस साल अब तक 1600 बार आग लगने की घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन वन विभाग की सतर्कता से कोई भी किसी घटना ने विकराल रूप नहीं लिया. एक वरिष्ठ अधिकारी ने गुरुवार को यह जानकारी दी. पलामू टाइगर रिजर्व (पीटीआर) के उपनिदेशक कुमार आशीष ने मेदिनीनगर बताया कि लगभग 1130 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले पीटीआर में आग लगने की सूचना उपग्रह से प्राप्त तस्वीरों से मिलती है जिसे देहरादून स्थित ‘फारेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया’ उपलब्ध कराता है.


कुमार आशीष ने बताया कि प्रबंधन के लिए पीटीआर को दो भागों में बांटा गया है और अबतक उत्तरी क्षेत्र में 600 बार और दक्षिणी हिस्से में 1000 बार आग लगने की घटनाएं हो चुकी हैं. उन्होंने बताया कि आग लगने की घटनाओं को रोकने के लिए स्थानीय ग्रामीणों की मदद से पारिस्थितिकी (इको) विकास समिति का गठन किया गया है.


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आधिकारिक जानकारी के अनुसार पलामू टाइगर रिजर्व मौजूदा समय में अधिकारियों की कमी का सामना कर रहा है और मौजूदा समय में चार वन क्षेत्रों में से सिर्फ कुटकू परिक्षेत्र में क्षेत्र पदाधिकारी पदस्थापित हैं जो गढ़वा जिले में पड़ता है. इसके अतिरिक्त लातेहार जिलान्तर्गत बेतला, पूर्वी छिपादोहर तथा पश्चिम छिपादोहर में रेंज ऑफिसर (रेंजर) के पद रिक्त हैं. उपनिदेशक ने एक प्रश्न के उत्तर में बताया कि पीटीआर के तहत बेतला में फिलहाल 80 गौर/जंगली भैंसा (बाईसन) हैं. झारखंड में गौर पीटीआर में सहज रूप में उपलब्ध हैं.


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