Jharkhand Politics: राज्यपाल रमेश बैस से मिले CM हेमंत सोरेन, मांगी चुनाव आयोग की सिफारिश की कॉपी
Ranchi News: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने राज्यपाल रमेश बैस (Ramesh Bais) से मुलाकात की है. सीएम ने चुनाव आयोग की सिफारिश की एक कॉपी उन्हें भी उपलब्ध कराने की अपील की है.
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Hemant Soren Met Governor Ramesh Bais: झारखंड (Jharkhand) में जारी सियासी अनिश्चितता के बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने राज्यपाल रमेश बैस (Ramesh Bais) से मुलाकात की है. सीएम सोरेन ने राज्यपाल से चुनाव आयोग (Election Commission) की सिफारिश की एक कॉपी उन्हें भी उपलब्ध कराने और जल्द से जल्द फैसला करने की अपील की है. इससे पहले राज्य में जारी राजनीतिक अनिश्चितता पर स्टैंड क्लीयर करने की मांग को लेकर जेएमएम-कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल भी राज्यपाल रमेश बैस से मिल चुका है.
सीएम हेमंत सोरेन ने ट्वीट कर कहा कि, ''आज राजभवन में माननीय राजपाल श्री रमेश बैस जी से मुलाकात कर राज्य में विगत तीन सप्ताह से अधिक समय से उत्पन्न अनापेक्षित और दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों की अनिश्चितता को दूर करने हेतु पत्र सौंपा जिससे इस भ्रम की स्थिति में भाजपा द्वारा किये जा रहे अनैतिक प्रयास से उसे रोका जा सके.''
आज राजभवन में माननीय राजपाल श्री रमेश बैस जी से मुलाकात कर राज्य में विगत तीन सप्ताह से अधिक समय से उत्पन्न अनापेक्षित और दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों की अनिश्चितता को दूर करने हेतु पत्र सौंपा जिससे इस भ्रम की स्थिति में भाजपा द्वारा किये जा रहे अनैतिक प्रयास से उसे रोका जा सके। pic.twitter.com/TOr1ta7Njt
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) September 15, 2022
राज्यपाल से मिल चुका है प्रतिनिधिमंडल
प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को एक ज्ञापन भी सौंपा था, जिसमें कहा गया था कि मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक संविधान के अनुच्छेद 192 (1) के तहत जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 9-ए के तहत मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य घोषित किया गया है. इससे राज्य में अनिश्चितता की स्थिति पैदा हो गई है और लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गई सरकार को अस्थिर करने के लिए राजनीतिक द्वेष को प्रोत्साहन मिल रहा है. इसलिए वो राजभवन से स्थिति स्पष्ट करने का आग्रह कर रहे हैं. ज्ञापन में ये भी कहा गया था कि अगर विधानसभा की सदस्यता के लिए मुख्यमंत्री की अयोग्यता सामने भी आती है तो सरकार पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि झामुमो-कांग्रेस-आरजेडी-निर्दलीय गठबंधन को अभी भी राज्य विधानसभा में प्रचंड बहुमत प्राप्त है.
जानें पूरा मामला
गौरतलब है कि, हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री रहते हुए रांची के अनगड़ा में अपने नाम पत्थर खदान लीज पर ली थी. बीजेपी ने इसे ऑफिस ऑफ प्रॉफिट (लाभ का पद) और जन प्रतिनिधित्व कानून के उल्लंघन का मामला बताते हुए राज्यपाल के पास शिकायत की थी. राज्यपाल ने इस पर चुनाव आयोग से मंतव्य मांगा था. आयोग ने शिकायतकर्ता और हेमंत सोरेन को नोटिस जारी कर इस मामले में उनसे जवाब मांगा और दोनों के पक्ष सुनने के बाद राजभवन को मंतव्य भेजकर हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की थी. चुनाव आयोग का ये मंतव्य राजभवन के पास है और आधिकारिक तौर पर इस बारे में राजभवन ने कुछ नहीं कहा है.
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