Jharkhand Political Crisis LIVE: सीएम हेमंत सोरेन की कुर्सी पर लटकी तलवार, रांची में UPA विधायकों की बुलाई गई बैठक
Jharkhand Political Crisis Live Updates: CM हेमंत सोरेन के पद पर तलवार अभी भी लटकी हुई है. आरोप है कि सोरेन ने पद का दुरुपयोग करते हुए अपने कार्यकाल के दौरान खुद के नाम से खनन पट्टा आवंटित करा लिया.
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Jharkhand Political Crisis Live Updates: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पद पर तलवार अभी भी लटकी हुई है. आरोप है कि सीएम हेमंत सोरेन ने पद का दुरुपयोग करते हुए अपने कार्यकाल के दौरान खुद के नाम से खनन पट्टा आवंटित करा लिया. इस मामले में उनकी विधानसभा सदस्यता को लेकर भारत निर्वाचन आयोग ने अपनी सलाह राज्यपाल रमेश सिंह बैंस को सौंप दी है. सूत्रों के अनुसार दावा है कि निर्वाचन आयोग ने हेमंत सोरेन को विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य करने की सलाह दी है हालांकि अभी तक राज्यपाल की ओर से कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है.
राजभवन के सूत्रों के जानकारी दी है- आयोग ने झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस से कहा है कि सोरेन को चुनावी मानदंडों का उल्लंघन करने के लिए विधायक के रूप में अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए. हालांकि, राजभवन ने आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि नहीं की है. राज्य में झारखंड मुक्ति मोर्चा की अगुवाई में कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के गठबंधन की सरकार है. इस मुद्दे पर गठबंधन से कांग्रेस ने कहा कि वह आयोग के फैसले का स्वागत करेगी.
झारखंड कांग्रेस के प्रभारी अविनाश पांडे ने कहा- फैसले के बाद, गठबंधन के सभी सहयोगी चर्चा करेंगे और आगे की रणनीति तैयार करेंगे... हम चाहते हैं कि हमारे गठबंधन का बड़ा सहयोगी सभी घटकों (सरकार के) को सम्मानजनक तरीके से अपने साथ ले कर चले और लोगों से पांच साल तक उनकी सेवा करने के वादे को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़े. जहां तक कांग्रेस विधायक दल का सवाल है, यह एकजुट है.’’
वहीं हेमंत सोरेन ने केन्द्र पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘संवैधानिक संस्थानों को तो खरीद लोगे, जनसमर्थन कैसे खरीद पाओगे?’’सोरेन ने अपने कार्यकाल के दौरान खुद के नाम से रांची में खनन पट्टा आवंटित कराने के मामले में उनकी विधानसभा सदस्यता को लेकर निर्वाचन आयोग की राय झारखंड के राजभवन पहुंचने के बाद अपनी सरकार गिरने की आशंकाओं के बीच एक के बाद एक ट्वीट किये जिनमें उन्होंने कहा, ‘‘हमने राज्य में कल भी काम किया था और आज भी कर रहे हैं, “संवैधानिक संस्थानों को तो खरीद लोगे, जनसमर्थन कैसे खरीद पाओगे ?
हर परिस्थिति के से निपटने के लिए हम लोग तैयार- जेएमम प्रवक्ता विनोद पांडेय
जेएमम प्रवक्ता विनोद पांडेय ने कहा कि हर परिस्थिति के से निपटने के लिए हमलोग तैयार है. विधायकों की राय ली जा रही है. मुझे पूरी उम्मीद है कि हेमंत सोरेन के नेतत्वू में 5 साल सरकार चलेता रहेगी.
क्या है झारखंड का समीकरण?
झारखंड में सरकार में बने रहने के लिए 42 विधायकों का संख्या बल जरूरी होता है, जबकि हेमंत सोरेन को माइनस करने के बाद भी मौजूदा सत्ताधारी गठबंधन के पास 50 का संख्या बल है. तीसरा विकल्प यह कि हेमंत सोरेन के अयोग्य घोषित होने और चुनाव लड़ने से डिबार किये जाने की स्थिति में उनकी पत्नी कल्पना सोरेन, मां रूपी सोरेन या भाभी सीता सोरेन को गठबंधन का नया नेता यानी मुख्यमंत्री चुना जा सकता है. चौथी संभावना यह कि हेमंत सोरेन के परिवार से इतर पार्टी के किसी वरिष्ठ विधायक को नया नेता चुन लिया जाये.
हेमंत सोरेन के लिए इस्तीफा देने की सूरत में यूपीए ने हर विकल्प पर मंथन किया
हेमंत सोरेन के लिए इस्तीफा देने की सूरत में यूपीए ने हर विकल्प पर मंथन किया है. जानकारों के मुताबिक सबसे पहला विकल्प यह है कि राज्यपाल का फैसला प्रतिकूल होने पर हेमंत सोरेन सुप्रीम कोर्ट जाकर त्वरित सुनवाई की गुहार लगा सकते हैं. दूसरा विकल्प यह कि अगर आयोग ने हेमंत सोरेन को आगे चुनाव लड़ने के लिए डिबार न किया हो तो वह इस्तीफा देकर फिर से सरकार बनाने का दावा पेश करके दुबारा मुख्यमंत्री बन सकते हैं, क्योंकि उनके गठबंधन के पास फिलहाल पर्याप्त बहुमत है.
क्यों आया सोरेन पर संकट?
हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता पर यह संकट इस वजह से आया कि उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए रांची के अनगड़ा में अपने नाम 88 डिसमिल के क्षेत्रफल वाली पत्थर खदान लीज पर ली थी. भाजपा ने इसे ऑफिस ऑफ प्रॉफिट (लाभ का पद) और जन प्रतिनिधित्व कानून के उल्लंघन का मामला बताते हुए राज्यपाल के पास शिकायत की थी. राज्यपाल ने इसपर चुनाव आयोग से मंतव्य मांगा था. आयोग ने शिकायतकर्ता और हेमंत सोरेन को नोटिस जारी कर इस मामले में उनसे जवाब मांगा और दोनों के पक्ष सुनने के बाद गुरुवार को राजभवन को मंतव्य भेज दिया है. इसके बाद से ही राज्य में सियासी उथल-पुथल बनी हुई है.
यूपीए के सभी विधायकों को अगले कुछ दिनों तक रांची में ही रहने को कहा गया
बदलती हुई राजनीतिक परिस्थितियों के मुताबिक, त्वरित फैसला लेने के लिए यूपीए गठबंधन के विधायकों और आला नेताओं की बैठक 11 बजे से सीएम हाउस में शुरू हुई है. यूपीए के सभी विधायकों को अगले कुछ दिनों तक रांची में ही रहने को कहा गया है, ताकि हेमंत सोरेन के इस्तीफा देने की सूरत में नई सरकार के लिए पूर्ण संख्याबल के साथ दावा पेश किया जा सके.