Jharkhand Crisis: झारखंड में जल्द ही साफ हो जाएगी सियासी 'पिक्चर', राज्यपाल रमेश ने UPA डेलिगेशन को दिया ये आश्वासन
Jharkhand Politics: यूपीए (UPA) प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस (Ramesh Bais) से मुलाकात की है. राज्यपाल ने कहा है कि, जल्द ही स्थिति स्पष्ट हो जाएगी.
Jharkhand UPA Delegation Meet Governor Ramesh Bais: झारखंड (Jharkhand) में पिछले करीब 9 दिनों से कायम राजनीतिक अनिश्चितता पर स्टैंड क्लीयर करने की मांग को लेकर जेएमएम-कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने बृहस्तिवार को शाम साढ़े 4 बजे राज्यपाल रमेश बैस (Ramesh Bais) से मुलाकात की. प्रतिनिधिमंडल में शामिल नेताओं के मुताबिक, राज्यपाल ने उनसे कहा कि हेमंत सोरेन (Hemant Soren) की विधानसभा सदस्यता के मसले पर निर्वाचन आयोग (Election Commission) का पत्र राजभवन को मिला है. इस पत्र के कंटेंट पर वो विधि विशेषज्ञों से परामर्श ले रहे हैं और जल्द ही स्थिति स्पष्ट हो जाएगी.
राज्य में अनिश्चितता की स्थिति
प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को एक ज्ञापन भी सौंपा है, जिसमें कहा गया है कि मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक संविधान के अनुच्छेद 192 (1) के तहत जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 9-ए के तहत मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य घोषित किया गया है. ऐसी खबरें राजभवन के सूत्रों के हवाले से चल रही हैं, इससे राज्य में अनिश्चितता की स्थिति पैदा हो गई है और लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गई सरकार को अस्थिर करने के लिए राजनीतिक द्वेष को प्रोत्साहन मिल रहा है. इसलिए वो राजभवन से स्थिति स्पष्ट करने का आग्रह कर रहे हैं. ज्ञापन में ये भी कहा गया है कि अगर विधानसभा की सदस्यता के लिए मुख्यमंत्री की अयोग्यता सामने भी आती है तो सरकार पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि झामुमो-कांग्रेस-आरजेडी-निर्दलीय गठबंधन को अभी भी राज्य विधानसभा में प्रचंड बहुमत प्राप्त है.
राज्यपाल ने दिया ये आश्वासन
राज्यपाल से मुलाकात के बाद सांसद महुआ माजी ने बताया कि राज्यपाल ने जल्द ही इस मुद्दे पर सबकुछ स्पष्ट कर दिए जाने का आश्वासन दिया है. राज्यपाल से मिलने वाले प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस सांसद गीता कोड़ा, धीरज साहु, झामुमो सांसद विजय हांसदा, महुआ माजी, झारखंड के पूर्व मंत्री बंधु तिर्की, झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य और विनोद पांडेय के साथ कुल 10 लोग शामिल थे.
जानें पूरा मामला
गौरतलब है कि, हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री रहते हुए रांची के अनगड़ा में अपने नाम पत्थर खदान लीज पर ली थी. बीजेपी ने इसे ऑफिस ऑफ प्रॉफिट (लाभ का पद) और जन प्रतिनिधित्व कानून के उल्लंघन का मामला बताते हुए राज्यपाल के पास शिकायत की थी. राज्यपाल ने इस पर चुनाव आयोग से मंतव्य मांगा था. आयोग ने शिकायतकर्ता और हेमंत सोरेन को नोटिस जारी कर इस मामले में उनसे जवाब मांगा और दोनों के पक्ष सुनने के बाद राजभवन को मंतव्य भेजकर हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की थी. चुनाव आयोग का ये मंतव्य राजभवन के पास है और आधिकारिक तौर पर इस बारे में राजभवन ने कुछ नहीं कहा है.
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