Jharkhand Politics over Law and Order Issue: झारखंड हाईकोर्ट (Jharkhand High Court) ने राज्य में बढ़ते अपराध (Crime) और लॉ एंड ऑर्डर में गिरावट को लेकर एक पखवाड़े के अंदर दूसरी बार सख्त टिप्पणी की है. बुधवार को अदालत ने मौखिक तौर पर कहा कि, "झारखंड में क्या हो रहा है? कभी मासूम बच्चों की हथौड़ों से हत्या कर दी जा रही है तो कभी कोर्ट कैंपस में बंदी को गोली मार दी जा रही है. राज्य में लॉ एंड ऑर्डर की हालत खराब है." चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने देवघर जिला कोर्ट कैंपस में बीते 18 जून को एक बंदी की गोली मारकर हत्या के मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए ये टिप्पणी की.
'धमकी खुद मुख्यमंत्री देंगे तो अराजकता तो होगी'
अब इस मामले को लेकर सियासत भी शुरू हो गई है. राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता बाबूलाल मरांडी (Babulal Marandi) ने हेमंत सोरेन सरकार पर निशाना साधा है. बाबूलाल मरांडी ने ट्वीट कर कहा कि, ''झारखंड में जंगल राज का आलम यह है कि जज, न्यायालय परिसर से लेकर गवाह तक सुरक्षित नहीं हैं. जाँच एजेंसियों को देख लेने, समझा देने की धमकी खुद मुख्यमंत्री देंगे तो अराजकता तो होगी ही. देवघर कोर्ट परिसर में हत्या के मामले में #झारखंड #उच्चन्यायालय को स्वतः संज्ञान लेना पड़ रहा है.''
कोर्ट कैंपस में हत्या
बता दें कि, देवघर जिला कोर्ट में बीते शनिवार को पेशी के लिए लाए गए अमित सिंह नाम के एक हिस्ट्रीशीटर की अपराधियों ने कोर्ट कैंपस में गोली मारकर हत्या कर दी थी. इस वारदात को लेकर देवघर के डिस्ट्रिक्ट जज ने हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस को पत्र लिखा था, जिसपर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने इसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया है. कोर्ट ने इस घटना पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है. इसके अलावा देवघर कोर्ट की सुरक्षा का ऑडिट करने का भी निर्देश दिया गया है. मामले की अगली सुनवाई 8 जुलाई को होगी.
संगठनों ने उठाए सवाल
बता दें कि, झारखंड के रांची, जमशेदपुर, धनबाद, देवघर, गुमला सहित कई शहरों में हत्या और लूट की कई बड़ी घटनाएं हुई हैं और इन्हें लेकर राज्य की विधि व्यवस्था पर कई नागरिक संगठनों ने सवाल उठाए हैं.
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